Book Title: Keet Patango ki Ascharyajanak Baten
Author(s): Rajnish Prakash
Publisher: Vidya Vihar

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Page 18
________________ न कीट वनस्पति के अलावा फल, पौधो, ऊन, चमडे, बालदार खाल, लकडी तथा कागज जैसी कीमती वस्तुओ को भी खा जाते हैं। दुनिया मे कीट ही ऐसे होते है, जो सदा 'भूख-भूख' करते है। जी हाँ, दुनिया में कीट ही ऐसे होते हैं, जो सदा 'भूख-भूख' करते हैं। आप उन्हें जब भी देखेगे, खाते ही देखेगे। इसलिए स्वाभाविक है कि कीट वहाँ पैदा होगे, जहाँ उन्हे उनका भोजन आसानी से मिल जाए। कुछ कीट ऐसे होते हैं, जो जन्म लेते ही अपने 'भाई-बहनो' तक को खा जाते हैं, क्योंकि ये जन्म से मृत्यु तक भूखे ही होते हैं। बरं आदि को जन्म लेते ही भोजन चाहिए और मादा बर्र उन्हे ऐसे स्थानो पर जन्म देती है, जहाँ भोजन होता है। अनेक प्रकार के कीटो मे ऐसा होता है कि वे अपने बच्चो को जन्म देने के पहले ही मर जाते हैं, क्योंकि उनका जीवन कुछ ही घटो या दिनो का होता है, अर्थात ऐसे प्रौढ कीट अडे देते हैं और अपना जीवन-काल समाप्त हो जाने के कारण स्वय समाप्त हो जाते हैं। इस प्रकार वे अपने बच्चो का मुंह नहीं देखते तो दूसरी ओर उनके बच्चे भी अपने माता-पिता को नही देख पाते। __ अनेक कीट ऐसे है, जिनका जीवन-काल लबा होता है, इसलिए ये बाकायदा अपने बच्चो को पालते हैं। इनमे बर्र और मधुमक्खियों, चींटियाँ, दीमक आदि आते हैं। ये बाकायदा अपना घर या बॉबियाँ आदि बनाते हैं और अपने बच्चो का कीट-पतगों को आश्चर्यजनक बातें 2017

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