Book Title: Kasaypahudam Part 08 Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri Publisher: Bharatiya Digambar Sangh View full book textPage 6
________________ प्रकाशककी ओरसे कसायपाहुडका आठवाँ भाग पाठकोंके करकमलों में अर्पित है । यह भाग कुछ विलम्बसे: प्रकाशित होनेका कारण गत वर्षमें उत्पन्न हुई कागजकी कठिनाई है । उसीके कारण इस भाग के प्रकाशनमें एक वर्षका विलम्ब हो गया । इस बातकी संभावना हमने सातवें भागके अपने वक्तव्य में व्यक्त भी कर दी थी । किन्तु आगे दो भागोंके लिये कागजकी व्यवस्था कर ली गई है और एक उदारदाता महोदय से उनके प्रकाशनके लिये आवश्यक साहाय्य भी मिल गया है, अतः आशा है आगे के भाग जल्द ही प्रकाशित हो सकेंगे । इस भागका प्रकाशन भी भा० दि० जैन संघके अध्यक्ष दानवीर सेठ भागचन्द जी डोंगरगढ़ तथा उनकी दानशीला धर्मपत्नी श्रीमती नर्वदाबाईजीके द्वारा प्रदत्त द्रव्यसे हुआ है । सेठ साहबने कुण्डलपुर में संघ के अधिवेशन के अवसर पर इस कार्यके लिये ग्यारह हजार रुपया प्रदान किया था। उसके पश्चात् बामौरा में संघ के अधिवेशन पर पुनः पाँच हजार रुपया इस कार्यके लिये प्रदान किया । इसीसे यह प्रकाशन कार्य चालू है । सेठ साहब तथा उनकी धर्मपत्नीकी जिनवाणीके प्रति यह भक्ति तथा दानशीलता अनुकरणीय है । सेठ साहबकी दानशीलता में प्रेरणात्मक सहयोग देनेका श्रेय पं० फूलचन्द जी सिद्धान्तशास्त्रीको है । आप ही जयधवलाके सम्पादन तथा मुद्रणका उत्तरदायित्व सम्हालते हैं । अतः मैं सेठ साहब, सेठानी जी तथा पण्डितजीका आभार प्रकट किये बिना नहीं रह सकता । जयधवला कार्यालय भदैनी, वाराणसी । ऋषभ निर्वाण दिवस - २४८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only कैलाशचन्द्र शास्त्री मंत्री साहित्य विभाग भा० द० जैन संघ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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