Book Title: Karni Ka Fal Author(s): Jain Education Board Publisher: Jain Education Board View full book textPage 6
________________ C. मित्र के लिए इतना तो हमें करना ही चाहिए। हम तैयार हैं। करनी का फल | राजा कणेरुदत्त ने सुझाव दिया सर्वप्रथम कौशल नरेश दीर्घराज एक वर्ष के लिए राज्य के संरक्षक बनकर रहें। राज्य के मंत्री-सेनापति आदि सभी ने इस निर्णय का स्वागत किया। रानी चुलनी भी स्वभाव से चंचल और शरीर वासना की भूखी थी। उसने दीर्घराज को उत्तर दिया दीर्घराज ने राज्य व्यवस्था सँभाल ली। धीरे-धीरे दीर्घराज चुलनी रानी के रूप पर मुग्ध हो गया। एक दिन उसने रानी से कहा महारानी, महाराज ब्रह्म हमारे घनिष्ट मित्र थे। उनके पीछे अब मैं आपको इस प्रकार दुःखी नहीं देख सकता। जब आप इस राज्य के स्वामी हैं तो मेरे भी स्वामी हुए VIDEO MSyDL DOPAN दीर्घराज ने चुलनी रानी को अपनी वासना के जाल में फंसा लिया। 1896Page Navigation
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