Book Title: Karni Ka Fal
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 7
________________ करनी का फल धीरे-धीरे रानी चुलनी और दीर्घराज खुलकर प्रेम लीला रचाने लगे। वफादार प्रधानमंत्री ने समझाया परन्तु रानी ने उल्टा उसे ही डाँटा दिया मंत्री ने सोचा मुझे सीख देने वाले आप कौन होते हैं? मैं इस राज्य की स्वामिनी हूँ" जैसा चाहूँगी करूँगी अब तो पानी सिर से ऊपर निकल रहा है। कहीं यह बहाव कुमार ब्रह्मदत्त को डुबो दे 1000000000 मंत्री धनु ने अपने पुत्र वरधनु को बुलाकर कहा एक दिन वरधनु ने कुमार ब्रह्मदत्त को सावधान करते हुए कहा- कुमार, आपको पता नहीं, इस राज्य के MO संरक्षक बनकर दीर्घराज ने हमारे साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया है। उसने राजमाता चुलनी को अपने वासना जाल में फाँस लिया है। 0000a4% वरधनु ! महारानी वासना के जाल में अंधी हो चुकी है। ऐसी नारी का कोई भरोसा नहीं तुम कुमार ब्रह्मदत्त की रक्षा का, ध्यान रखो। 2003 1 cod feel

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