Book Title: Karni Ka Fal
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 16
________________ करनी का फल एक भीमकाय मदोन्मत्त हाथी ने ब्रह्मदत्त पर | हस्ति-युद्ध में चतुर ब्रह्मदत्त लंगूर की तरह तीखे दंत शूलों से प्रहार किया। उछलकर हाथी की पीठ पर बैठ गया। BORATOR JAMOZA P4A Sasur पा-ची.-5.5-1. 000 हाथी के कुंभ स्थल पर उसने एक मुक्का मारा तो हाथी दर्द के मारे चिंघाड़ता हुआ जंगल में भाग गया। SKRIT पा- ह - ह..3.. YS UNA Ramera आचार्य देखते रह गयेअरे ! अनर्थ हो गया ! मदोन्मत्तं गजराज कुमार को लेकर कहाँ भागा जा रहा है? परन्तु सभी निराश होकर लौट आये। आचार्य निराश होकर बोले शायद् भाग्य को यही मंजूर होगा। वैसे भी अब कुमार ब्रह्मदत्त एक वर्ष बाद चक्रवर्ती सम्राट बनने ही वाला है। alig आचार्य ने तपस्वियों को कुमार की खोज में भेजा।।

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