Book Title: Karni Ka Fal
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 35
________________ करनी का फल भोला गड़रिया ब्राह्मण की बातों में आ गया। जब राजमार्ग से चक्रवर्ती की सवारी निकल रही थी तो उसने निशाना साध कर गिलोल से दो गोलियाँ फेंकी और चक्रवर्ती की आँखें फोड़ डालीं। NO. harm omn लखलखणा सैनिकों ने तुरन्त गड़रिये को पकड़ लिया। गुप्तचरों ने तुरन्त उस ब्राह्मण को पकड़कर चक्रवर्ती के सामने हाजिर किया। क्रुद्ध चक्रवर्ती ने पीटने पर गड़रिया बोला मुझे मत मारो ! मेरा कहा कोई कसूर नहीं है। मुझे ऐसा करने के लिए उस ब्राह्मण ने कहा था। आह... DOUT TOU 31 दुष्ट ! तू तो साँप से भी ज्यादा नीच निकला, ऐसे नीच विश्वासघाती को कठोर से कठोर दण्ड दो, इसके समूचे परिवार को मार डालो।

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