Book Title: Karni Ka Fal
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 25
________________ करनी का फल महारानी और महामंत्री आदि ने मुनि से प्रार्थना । | एक दिन दोनों भाई खेत पर जुताई कर रहे की (मुनि कहानी सुनाते हैं, “आज से पाँच जन्म थे। दिन भर कठोर परिश्रम करने के बाद पहले की यह कहानी है। दशार्णपुर में एक | छोटा भाई बोलाब्राह्मण के घर में उसके दासी पुत्र दो भाई थे चल थोड़ी देर वृक्ष की | भैया, मैं तो इतना थक दिनभर खूब मेहनत मजदूरी करते थे। (छाया में सो कर थकावट " गया हूँ। अब घर तक दूर करते हैं भी नहीं जा सकता। fa we | दोनों भाई एक वृक्ष के नीचे आकर लेट गये। तभी वृक्ष के कोटर में से एक काला साँप निकला और नींद में सोये दोनों भाइयों को उस लिया। दोनों भाइयों की तत्काल मृत्यु हो गई। उनकी आत्मा वहाँ से प्रस्थान करके कलिंजर पर्वत के वनों में हरिण के रूप में जन्म लेती हैं। एक बार दोनों हरिण छोने पानी पीने नदी के तट पर गये, एक शिकारी ने तीर मारकर इनको बींध दिया। दोनों हरिण शिशुओं ने वहीं प्राण त्याग दिये। Dipat Alapan

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