Book Title: Karni Ka Fal
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ करनी का फल इधर एक शुभमुहूर्त में ब्रह्मदत्त का विवाह हो गया। धूम-धाम से वर-वधू ने लाक्षागृह में प्रवेश किया। आधी रात के समय अचानक लाक्षागृह में धू-धू कर अग्नि-ग्वालाएँ भड़क उठी। चारों तरफ हाहाकार मच गया। TRADIO कुमार भीतर हैं उन्हें बचाओ। अरे ! महल में आग लग गई। वरधनु ने कुमार को पहले ही सावधान कर दिया था। मौका पाकर दोनों सुरंग के रास्ते बाहर निकलकर यज्ञ-मण्डप में आ पहुंचे। वहाँ से घोड़ों पर चढ़कर जंगलों में निकल पड़े। [ M EE HALPHARMAष्य MOTOMOTION इधर सेवकों ने महल में खोजबीन करके दीर्घराज को बताया- धूर्त दीर्घराज समझ गया ब्रह्मदत्त बचकर कहीं महाराज ! महल में केवल नववधू का भाग गया है। उसने सेवकों को आदेश दियाही जला हुआ शव मिला है। राजकुमार चप्पा-चप्पा छान डालो। राजकुमार जहाँ भी मिले _____ का कुछ पता नहीं चल रहा है। पकड़कर मेरे सामने लाओ। Aanaa லலலல I SOQA 000 Sue

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38