Book Title: Karni Ka Fal Author(s): Jain Education Board Publisher: Jain Education Board View full book textPage 9
________________ कुमार की यह हरकत देखकर दीर्घराज सहम गया। उसने रानी से कहा देखा प्रिये ! तुम्हारा बेटा मुझे कौआ और तुम्हें कोकिल बताकर मारने की धमकी दे रहा है इसे यों मारने से तो प्रजा में विद्रोह फूट पड़ेगा 06 करनी का फल | परन्तु कुमार की इस आक्रोश पूर्ण उक्ति से दीर्घराज डर गया था। उसने चुलनी से कहा प्रिये ! तुम्हारे पुत्र की यह धमकी केवल बाल लीला नहीं है. इसके भीतर प्रतिशोध की ज्वालाएँ भभक रही हैं। कुछ उपाय सोचो ' ค.คน മ रानी ने हँसकर बात टाल दी प्रिय ! यह अभी बालक है। प्रेम-लीला को क्या समझे ! इससे डरने की जरूरत नहीं है। हमारे प्रेम में बाधक बनने वाला चाहे पुत्र हो या मित्र, वह काला नाग है, इसका फन कुचल डालिए फिर क्या करें ! कैसे इसको खत्म करेंगे?Page Navigation
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