Book Title: Karm Vignan Part 05
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 5
________________ ( ३ ) Jain Education International समर्पण छ सम्यग् ज्ञान-दर्शन-चारित्र की निर्मल आराधना द्वारा तप-जप-ध्यान की सम्यग् समाराधना द्वारा जिन्होंने कर्म-मुक्ति का मार्ग स्वीकारा उन परम श्रद्धेय पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. की पावन स्मृति में सादर समर्पित 5 - आचार्य देवेन्द्र मुनि For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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