Book Title: Karm Vignan Part 05
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 4
________________ (२) श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय का ३११ वां रत्न * कर्म-विज्ञान पंचम भाग (कर्मबन्ध की विशेष दशाओं का वर्णन) . * लेखक श्रमण संघ के तृतीय पट्टधर आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि * सम्पादक विद्वद्रन मुनि श्री नेमिचन्द्र जी * प्रथम आवृत्ति वि.सं. २०५० आश्विन शुक्ला १४ (गुरुदेव श्री पुष्कर मुनिजी की ८४ वीं जन्म जयन्ती) * पृष्ठ ६०८ * प्रकाशक/प्राप्ति स्थान श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय, शास्त्री सर्कल, उदयपुर-३१३००१ * मुद्रण श्री संजय सुराना द्वारा कामधेनु प्रिंटर्स एण्ड पब्लिशर्स, ए-७, अवागढ़ हाउस, एम.जी, रोड, आगरा-२८२००२, फोन ५४३२८ हेतु मोहन मुद्रणालय, आगरा में मुद्रित। * मूल्य सौ रुपया मात्रः लागत मूल्य से भी कम Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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