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श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय का ३११ वां रत्न
* कर्म-विज्ञान
पंचम भाग (कर्मबन्ध की विशेष दशाओं का वर्णन) .
* लेखक
श्रमण संघ के तृतीय पट्टधर आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि
* सम्पादक
विद्वद्रन मुनि श्री नेमिचन्द्र जी
* प्रथम आवृत्ति
वि.सं. २०५० आश्विन शुक्ला १४ (गुरुदेव श्री पुष्कर मुनिजी की ८४ वीं जन्म जयन्ती)
* पृष्ठ ६०८
* प्रकाशक/प्राप्ति स्थान
श्री तारक गुरु जैन ग्रंथालय, शास्त्री सर्कल, उदयपुर-३१३००१
* मुद्रण
श्री संजय सुराना द्वारा कामधेनु प्रिंटर्स एण्ड पब्लिशर्स, ए-७, अवागढ़ हाउस, एम.जी, रोड, आगरा-२८२००२, फोन ५४३२८ हेतु मोहन मुद्रणालय, आगरा में मुद्रित।
* मूल्य
सौ रुपया मात्रः लागत मूल्य से भी कम
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