Book Title: Jinabhashita 2006 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ निर्मित हो रहे हैं, जिसे देखकर वहाँ पर पहुँचने वाले हजारों- | आपको लिखित में सहमति नहीं दे सकते, किंतु बड़े बाबा हजार तीर्थयात्री, बुद्धिजीवी, विद्वान् भी प्रशंसा करते हुए यह के संरक्षण के लिए नये मंदिर का निर्माण कार्य अपरिहार्य कहते हैं कि बड़े बाबा की प्रतिमा जी के संरक्षण का असली | है। काम तो अब हो रहा है। बड़े-बड़े वास्तुविदों ने इस निर्माणाधीन | मैंने जो भी तथ्य आपके सामने रखे. वे मेरी जानकारी से मंदिर को महाप्रसाद का नाम दिया है। पूर्णतः सत्य हैं। प्रमाण के तौर पर सभी दस्तावेज, फोटो बंधुओ, हमारी समिति आपसे विनम्र निवेदन करती है | ग्राफ भी उपलब्ध हैं। मेरी भावना किसी को ठेस पहुँचाने या कि आप लोग कुण्डलपुर पहुँचकर अपनी आँखों से सच्चाई | नीचा दिखाने की नहीं है। सिर्फ विगत दिवसों में भ्रान्त प्रचार को देखें, जानें व स्वयं निर्णय करें कि जैन समाज ने अथवा | के माध्यम से जो वातावरण को दषित किया गया, जिला समिति ने जो बड़े बाबा के नये मंदिरनिर्माण का बीड़ा | प्रमुख के गैर जिम्मेदाराना आचरण से भारतवर्ष में साम्प्रदायिक उठाया है, वह कितना सही है। अभी तक के हुए निर्माण | सौहार्दता को बिगाड़ने का जो प्रयत्न किया गया उसके कार्य में संपूर्ण भारतवर्ष से जैन धर्मावलंबियों से प्राप्त दान | निराकरण हेतु ये सारी बातें आपके समक्ष रखना आवश्यक राशि से 10 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। 1995 से | हो गईं। . लगातार निर्माण का कार्य जारी है तथा यह भी एक सत्य है धन्यवाद कि इस विभाग के अधिकारियों की पूर्ण जानकारी में यह प्रभारी कार्य हो रहा है। यही नहीं, वे यह भी कहते थे कि हम श्री बड़े बाबा मंदिर निर्माण समिति कुण्डलपुर, जिला दमोह (म.प्र.) पुरातत्त्व कानून पर पुन: गौर कीजिये सुभाष चन्द्र 'सरल' देश में अनगिनत पुरा सम्पदायें, जगह-जगह खड़ी हैं। पर दम तोड़ती सी बिखरी पड़ी हैं। हमारी सरकार उनका संरक्षण नहीं कर पा रही है, पर संरक्षण की भावना रखने वाले, अनुयायियों के आड़े आ रही है, हजारों देव प्रतिमाओं का क्षरण हो रहा है। चोरी हो रही है, या मरण हो रहा है। हजारों मन्दिर गिर गये हैं या गिरते जा रहे हैं, या उचित रखरखाव के अभाव में टूटते जा रहे हैं, सरकार के पुरातत्त्व संरक्षण कर्ताओं से, संरक्षण नहीं हो पा रहा है। सरकार के बजट का अधिकतम, वेतन में खर्च हो रहा है। अत: आप जितना संभाल सकें, उतना सँभालिये पर प्रजातंत्र में देवों के अनुयायियों के, संरक्षण कार्य एवं नवनिर्माण में, आड़े मत आइये। कृपया अपनी सरकार के पुरातत्त्व संरक्षण कानून पर, महामहिम जी, प्रधान जी पुन: गौर कीजिये। और जिन पुरा देव प्रतिमाओं के अनुयायी, संरक्षण को तत्पर हैं उन्हें संरक्षण एवं आवश्यक नवनिर्माण के अधिकार दीजिये। जहाँ अनुयायी संरक्षण कर्ता न बनें, आप पूरी जिम्मेदारी से उनको सँभालिये। पर, लोकतंत्र में न करेंगे, और न करने देंगे की, नीति मत पालिये। भोला फोटो स्टूडियो, सुभाषगंज अशोकनगर (म.प्र.) मार्च 2006 जिनभाषित /9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36