Book Title: Jinabhashita 2006 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 34
________________ में महामंत्री पद पर कार्यरत रहते आपने संस्था का संचालन 23 जनवरी, 2006 को प्रातः 9 बजे स्वजनों एवं स्नेहीजनों के सुचारू रूप से निर्वेध हो, इसलिये दूरदृष्टि रखकर युवा बीच सम्पन्न हुआ। कार्यकर्ताओं की समर्पित नई पीढ़ी तैयार की, संस्था के ग्रीष्मकालीन शिक्षणशिविरों में अवश्य पधारें आर्थिक व्यवहार को अत्यन्त स्पष्ट, पारदर्शी रखना, विद्यार्थीअध्यापक-कर्मचारी-सेवक आदि की सुविधा का ध्यान ___ श्रमणसंस्कृति संस्थान सांगानेर (जयपुर) के अधिष्ठाता रखना और अध्ययन-अध्यापन का स्तर ऊँचा रहे इस पर पं. रतनलाल बैनाडा एवं अन्य विद्वानों के सान्निध्य में आपका विशेष ध्यान रहता है। दिनांक 24 अप्रैल 2006 से 3 मई 2006 तक बारामती रा. व. अंबरकर एलोरा (महाराष्ट्र), 6 मई से 16 मई तक बेलगाँव तथा 17 मई से 28 मई तक कोपरगाँव (महाराष्ट्र) में सर्वोदय ज्ञानसंस्कार धन्नालाल जी बज किशनगढ़ वालों की सल्लेखना शिक्षण-शिविर आयोजित हो रहे हैं। इनमें बालबोध, छहढाला, संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज तत्त्वार्थसूत्र, रत्नकरण्डश्रावकाचार, समयसार एवं कर्मकाण्ड के परम भक्त श्री धन्नालाल जी बज का अध्ययन कराया जायेगा। इच्छुक जन अवश्य पधारें। उम्र 83 वर्ष का दिनांक 17.12.05 आवास एवं भोजन की उचित व्यवस्था है। शिविर में 8 वर्ष को रात्रि 2 बजे चारों प्रकार के आहार से ऊपर के बालक-बालिकाएँ एवं वयस्क स्त्री-पुरुष भाग का त्याग श्री मती प्रतिभा जी जैन, ले सकते हैं। शिविरों में प्रतिदिन प्रातःकाल पं. फूलचन्द्र जी प्रवचनकर्ता (श्री दिग. श्रमण संस्कृति योगाचार्य द्वारा योग और प्राणायाम भी सिखाया जायेगा। संस्थान, सांगानेर) द्वारा रात्रि के 11 रतनलाल बैनाडा बजे करवा दी थी, धीरे-धीरे प्राण निकलते गये, कहीं भी संक्लेश परिणाम चेहरे पर दिखाई तत्त्वार्थसूत्र पर राष्ट्रीय युवा विद्वत् संगोष्ठी सम्पन्न नहीं दिये। श्री बज साहब ने स्वयं त्याग करके 9 बार पलवल (फरीदाबाद) हरियाणा की धर्मप्राण नगरी णमोकार मंत्र बोलकर प्राणांत किया। पलपल के नवनिर्मित सर्वोदय जैन तीर्थ क्षेत्र में परम पूज्य श्री बज साहब पिछले 50 वर्ष से किशनगढ़ में रह रहे थे, आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य पूज्य उन्होंने 1960 तक के. डी. जैन विद्यालय में अध्यापक पद उपाध्याय श्री 108 गुप्तिसागर जी महाराज के मङ्गल सान्निध्य पर कार्य किया। पश्चात् 1961 से अपनी स्वयं की पुस्तकों में शान्तिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के की दुकान अनिल बुक हाऊस प्रारम्भ की थी। उन्होंने इस अवसर पर दिनांक 27 जनवरी से 29 जनवरी 2006 तक उम्र में भी नियमित रूप से देवदर्शन करना, रात्रि भोजन नहीं पूज्य उमास्वामी रचित 'तत्त्वार्थसूत्र' पर राष्ट्रीय युवा विद्वत् करना तथा साधु संघों की सेवा, वैय्यावृत्ति आदि करते थे। संगोष्ठी शास्त्री परिषद् के अध्यक्ष डॉ. श्रेयांसकुमार जैन श्री बज साहब अपने पीछे 3 पुत्र तथा 2 पुत्रियां का भरा- बड़ौत एवं जैन जगत् के सुप्रसिद्ध विद्वान् डॉ. शीतलचन्द्र पूरा परिवार छोड़ गये हैं। जैन प्राचार्य, जयपुर के निर्देशन में तथा युवा विद्वान् पं. भारतीय रस्म रिवाजों से विवाह सम्पन्न सुनील जैन संचय जैनदर्शनाचार्य नरवॉ तथा पं. आशीष जैन शास्त्री, शाहगढ़ के संयोजकत्व में सफलता पूर्वक सम्पन्न (जयपुर) दिगम्बर जैन महासमिति के राष्टीय हुई। उल्लेखनीय है पहली बार युवा विद्वत संगोष्ठी का आयोजन परम पूज्य उपाध्याय श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज अध्यक्ष और विद्या विकास योजना श्रवणबेलगोला के के मङ्गल सान्निध्य में सोनागिर में दो वर्ष पूर्व हआ था। अध्यक्ष काला ज्वैलरी के परम पूज्य उपाध्याय श्री गुप्तिसागर जी महाराज को भी यह प्रवर्तक और प्रमख जौहरी पसद आया और उन्होंने युवा विद्वानों को उचित मंच व आगे श्री विवेक काला की सुपुत्री श्रद्धा का शुभ विवाह श्रीमान् बढ़ाने के उद्देश्य से इस संगोष्ठी हेतु मङ्गल आशीर्वाद प्रदान किया। सुरेश जी पाटनी (आर. के मार्बल किशनगढ़) के पुत्र चि. विकास के साथ उनके निवास स्थान रूबी लाईट हाऊस में सुनील जैन संचय 32/मार्च 2006 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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