Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रकाशिका टीका-पञ्चमवक्षस्कारः सु. ३. पौरस्त्यरुव कनिवासिनीनामवसरवर्णनम् ५८६ तस्मिन् काले तस्मिन् समये पश्चिमरुचकवास्तव्याः पश्चिमदिग्भागवृत्ति रुचकवासिन्य अष्टौ ? दिक्कुमारी महत्तरिका:' 'स्वकैः स्वकैः यावद्विरिन्ति तिष्ठन्ति यावत्' पदात्' 'सहि सरहि कूड़ेहि इत्यारभ्य 'देवेहिं देवीहि 'सद्धि "संपरिवुडीओ' इत्यते सबै प्रापतेवा व्या ख्यानम् अस्मिन्नेव वक्षस्कारे प्रथमपूर्वसूत्रे द्रष्टव्यम् । एतासी 'नमान्याह 'त' जहां' इत्यादि' igree F BRE Shipp
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देवी सुदेवी २ हवी ३ परमाव
पद्मावती सीता व अष्टमी
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Pol"=" एर्गेणासा '५, 'जर्व मिया '६ 'भद्दा ७,' सीयय FRE इलादेवी र सुरीदेवी २ पृथिवी Flip एकनासा), नवमिका व मंद्रा जावाणि भाइयच्च चिकटु जाव 'भगवओं तित्थयरस्स तिस्थयरमा ऊँए य पञ्च स्थिमेणं ताaियंटहत्यगयओ आगयमाणी परिमायमाणी ओ चिंद्वंति कटव्यवस्था तथैव पूर्ववदेव यावद युष्माभिर्न भेतव्यम् असम्भाव्यमानेऽस्मिन्नेकान्तस्थाने' विसंद राजातीयाः दिग्भोगपति स्वक कूद वासिनी आठ दिवकुमारी महत्तरिकाएं अपने अपने कूट आदिको 'में' यावत् भोगों को भोग रही थीं यहां यावत् पद से 'सहि संपहि कूडेहि 'इस' पाठ से लेकर देवेहिं देवीहि सद्धिं संपरिपुडाओ' यहां तक का गृहीत हुआ हैं । इनके नाम इस प्रकार से है Fइलीदेवी? सुरादेवी र पुहवी उमावई ४
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एगणीस ५, णवमिआ ६ भद्दा ७ सीओ व अमा- - in -लादेवी, सुरादेवी पृथिवी, पद्मावती, एकनासा, नवमिका, "भद्रा और आठवीं सीता 'तहेव जाय तुम्भाहिं ण भाविति कहुँ जांब भगवओ तित्थ रस्स' तित्थरमा एय पचेत्थिमेण तालिमेंटहत्थगयाओं आगयमाणीओ परिंगायमाणीओ चिंति' कूटव्यवस्था पूर्व की तरह से ही जाननी चाहिये यां आपको 'जहां पर जनका आना संभावित नहीं हो सकता है ऐसे इस स्थान में વાસિની આઠ દિક્પ્રુમારી'' મહત્તરિકાએ પોત-પોતાના કૂટ' આવામાં ચાવત્ ‘ભાગાના ૫. लेग ईश हाङमा, झंडा' यावत् चेच्थी' सरर्हि से रहि कूडेहि”, श्री पांडथी भाडीने 'देवेहि" देवहि य'सद्धि”संपरिवुडाओ' 'ही' 'सुधानां पाठ संगृहीतथ्य भनी नाम श्री प्रभाछSuse इलादेव ९, सुरदेिवी 'ई, पुहबी ३, पमावई ४ =
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Figrl-lik / "एंगणस" ५, ज॑र॒मि॑आ ६, भदा" ७, सीआय '८, सीमा, सुशस्वी, पृथिवी, पद्मावती, "अनसि
अट्टमा' '१' ॥ SEJ U Cale'नरभिभ,”लेद्रा ंमने' ला" साता
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'तव जाव तुम्भाहिं ण भायिअव्वंति कट्टु जाव "मओ तित्ययरस्स" तित्थयर मांडण्य पपत्थिमेण 'तॉलिअटहत्थगयाओं "आगायणाणीओ परिंगायमाणीओ चिट्ठति "ट व्यवस्था વંત તસુધી જોઈએ? વિત મારે "ધી જનાર્ગમાં બસ ભવિત કરવા