Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 732
________________ प्रकाशिका टीका-पञ्चमवक्षस्कारः सु. ११ अभिषेक निगमनपूर्वकमाशीर्वादः अथ अभिषेक निगमन पूर्वकमाशीर्वाद मा: मूलम् - तए णं से अच्चुइंदे सपरिवारे सामिं तेणं महया महया अभिसेणं अभिसिंचाई, अभिसिंचित्ता करयलपरिग्गहियं जाव सत्थए अंजलि कट्टु जपणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावित्ता ताहिं इट्ठाहिं जाव · जयजयस पउंजइ परंजित्ता जाव पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गंधकासाइए गायाई लूहेइ लुहित्ता एवं जाव कप्पorai fra अलंकिय विभूसियं करेइ करिता जाव णहविहि उवदंसेइ उवदंसित्ता अच्छे हिं सहेहिं रययामएहिं अच्छरसा तंडुलेहिं भगवओ सामिस्स पुरओ अट्टट्टमंगलगे आलिह तं जहा- सोत्थिय १ सिविच्छ २ नंदियावत ३ वद्धमाण ४ भासण ५ वरकलस ६ मच्छ७ दप्पण ८ लिहिआ अटूट्ट मंगलगा ||१|| लिहिऊण करेइ उपचारं किंते ! पाडल मल्लिअ चंपगसोग पुन्नाग चूअमंजरि णत्रमालिअबउलतिलय कणवीर कुंदकुज्जग कोरंटपत्त दमणग वरसुरभिगंधगंधियस्स कचग्गहगहिय कर्यलप भविष्यमुक्कस्स तत्थचित्तं जास्सेहपमाणमित्तं ओहिनिकरं करेता चंदष्यभरयणवइरवेरुलयविमलदंड कंचणमणिरय गभत्तिचित्तं कालागुरुपवरकुंदरुक्कतुरुकधूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमत्रहिं विणिम्मुयंतं वेरुलियमयं कडुच्छुअं पग्गहितु पथरणं धूवं दाउण जिणवरिंदस्स सत्तद्रूपयाई ओसरिता दसंगुलियं अंजलि करिअ मत्ययंमि पयओ असय विसुद्ध गंधजुत्तेहिं महाविरोहिं अपुरं अत्थजुत्तेहिं संथुणइ संधुणित्ता वामं जाणुं अंचेइ अंचित्ता जाव करयलपरिग्गहियं सत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी णमो - त्थुते सिद्धबुद्ध णीरय समणसामाहिअं समत्त समजोगि सल्लगत्तणपिभय नीरागदोसणिम्नमणिरसं गणीसल्लमाणमूरणगुणरयणसीलसागरनत सप्पमेयभविअ धम्मवरचाउरंतचक्कत्रट्टी णमोत्थुते अरहओ तिकट्टु एवं वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता णच्चासपणे णाइदूरे सुस्सूसमाणे जाव पज्जुवासइ एवं जहा अच्चुयस्स तहा जाव ईसाण ज० ९२ ७२१ .

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