Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 793
________________ ઉંટર अस्पत - 'छप्पण्णं सलिलासहस्सा भवतीति मक्खायं' पट्पञ्चाशत् सलिला सहस्राणि आवान्तरनयः तासां सहस्राणि भवन्तीत्याख्यातं मया तथाऽन्यैव तीर्थकरैरिति । 'जंबुद्धीचे णं भने ! दीव' जम्बूद्वीपे खलु भदन्त ! द्वीपे 'हेमवय हेरण्णवएस वासेमृ' हैमवत हैरण्यवयोर्वर्पयो मध्ये 'कई महाईओ पत्ताओ' कति कियत्संख्यका महानद्यः प्रज्ञप्ताः - कविता इति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम! 'चत्तारि महाणईओ पनत्ताओं' चतम्रो महानद्यः प्रज्ञप्ताः - कथिताः, 'तं जहा ' - तद्यथा - 'रोहिना रोहितंसा सुवणकला रूपकृला ' रोहितानाम्नी महानदी प्रथमा १, रोहितांगा महानदी द्वितीया २, सुवर्णकृत्या महानदी तृतीया ३, रूप्यकूला महानदी चतुर्थी ४, 'तत्थणं एगमेगा महाणई' तत्र खलु एकैका महानदी 'अहावीसाए अहावीसाए सलिलासहस्सेहि' अष्टाविंशत्या अष्टाविंशत्या सलिला सहस्रैः अत्रान्तरनदीसहस्रै रित्यर्थः 'समग्रा परिपूरिता युक्ता इति यावत् इत्थंभूता सती 'पुरत्यिम पच्चत्थिमेगं लवणसमुदं समप्पेइ' पूर्वपत्रिमेन लवणमुद्रं समुपसर्पति प्रविशती - त्यर्थः : तत्र हैमत्रतक्षेत्रे रोहिना महानदी सपरिवारा पूर्वन्वणमुद्रं प्रविशति तत्रैव क्षेत्रे रोहितांनदियां है 'जंबुद्दोषेणं अंते । दीवे हेमवय हेरण्णव बासेस कई महाणईओ पन्नताओ' हे भदन्त ! इस जंबूद्वीप नामके छीपने जो हैमवत और हैरण्यवत क्षेत्र हैं - उनमें कितनी महानदियां हैं ? इसके उत्तर से प्रभु कहते है- गोयमा । चत्तारि महाणईओ पन्नताओ' हे गौतम! इनमें चार महानदियां है 'तं जहा ' उनके नाम इस प्रकार से है - रोहिला, रोहितंसा सुवण्णकुला' रूपकूला नत्थ एगमेगा महाणई अहावीलाए २ सलिलालहस्तेहि' इनसे एक एक महानदीकी परिवारभूत अवान्तर नदियां २८ हजार २८ हजार है । 'पुरस्थिमपच्चत्थिमेगं लवणसमुद्दं समप्पेह' इनमें जो क्षेत्र में रोहिता नामकी महानदी है वह अपनी परिवारभूत २८ हजार अवान्तर नदियों के साथ पूर्व लवणसमुद्र में जाकर मिली है और रोहितांगा महानदी अपनी परिवारभूत २८ हजार नदियों भजीने यह सुन्दर अवान्तर नहीओ छे, 'जंबुद्दीवेणं अंते ! दीवे हेमबय हेरण्णवसु वासेसु कई महाणईओ पन्नताओ' हे लहन्त ! या मूद्रीय नाम द्वीपसां है पवत હૈ एथवत क्षेत्र छे तेमां टट्टी भहानहीयो भावेसी छे ! सेना नवागमां प्रभु हे छे- 'गोयमा ! चत्तारि महाणईओ पन्नताओं' हे गौतम! भां थर भह' नही थे। आवेदी छे. 'तं जहा' ते नहीओोना नाभी था अमाशे छे - 'रोहिता, रोहितंसा, सुत्रष्णक्कूला' रोडिता, राडितांसा सुत्रएईमा भने ३० सा. 'तत्थणं एगमेगा महाणई अट्ठावीस ए २ सलिलासहस्सेहि' येभां ४-४ भहानहीनी परिवारभूता भवन्तर नहीओ। २८ र २८ र छे. 'पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं लत्रणसमुदं समप्पेइ' मां मे भवनक्षेत्रमां शद्धिता नाम भहनही छेते પેાતાની પરિવારભૂતા ૨૮ હજાર અવાન્તર નદીએની સ થે પૂર્વ લવણસમુદ્રમા જઈ ને મળે છે અને હતાશા મઠ્ઠાનદી પાતાની પરિવારભૂતા ૨૮ હજાર નદીએની સાથે પશ્ચિમ

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