Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 767
________________ जम्बूद्वीपमाप्तिसूत्र दीवे केवइया वासहरकूडा केवइया वक्खारकूडा केवइया वेयछकूडा केव. इया मंदरकूडा पन्नत्ता? गोयमा! छप्पणं वासहरकूडा उष्णउई वक्खारकूडा तिपिण छत्तरा वेयद्धकूडलया ण संदरकूडा एनन्ता । एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे बत्तारि लत्तसहा कूडसया भवंतोति मक्खायं । जंबुद्दीवे दीवे भरहेबाले कइ तित्था पन्नत्ता ? गोयमा ! तओ तित्था पन्नत्ता तं जहा-मागहे वरदामे पभासे । जंबुद्दीवे दीवे एरवए वासे कइतित्था पन्नत्ता ? गोयमा! तओ तित्था पन्नत्ता तं जहा-मागहे. वरदामे पभासे एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चक्रवहि विजए कइ तित्था पन्नत्ता ? गोयमा! तो तित्था पन्नत्ता, तं जहा-मागहे वरदामे पभासे, एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दीवे एगे वि उत्तरे तित्थसए भवंतीति मकवायति । जंबुद्दीवेणं भंते ! दीवे केवइया विज्जाहरसेढीओ केवइया आभियोग सेढीओ पन्नत्ताओ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे अष्टसटी विजाहरसेढीयो अदृसटी आभिओगसेढीयो पण्णत्ताओ एवामेव सपुवावरेणं जंबुद्दीवे दोवे छत्तीले सेढिसए भवंतीति मक्खायं । वुदीवे दीवे केवइया चयट्रिविजया केवईयाओ रायहाणीओ केवइयाओ तिमिसगुहाओ केवइयाओ खंडप्पायगुहाओ केवइया कयमालया देवा केवइया णहमालया देवा केवइया उसम्भकूडा पन्नत्ता ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दो चोत्तीत तिमिलगुहाओ चोत्तीसं चक. वटि विजया चोत्तीसं रायहाणीओ चोत्तीसं तिमिसगुहाओ चोत्तीसं खंडप्पवायगुहाओ चोत्तीसं कयमालया देवा चोत्तीसं पट्टमालया देवा चोत्तीसं उलभकूडा पव्वया पन्नत्ता । जंबुद्दीवे दीवे केवइया महदहा पन्नत्ता ? गोयमा! सोलसमहदहा पन्नता । जंबुदीवेगं भंते ! दीवे केवइयानो महानदीओ वासहरपबहाओ केवइयाओ सहागईओ कुंडप्पवहाओ पन्नता ? गोयना ! जंबुढीवे दीवे चोदल सक्षागईओ वासहर पवहाओ छावतरि महागईओ कुंडप्यवहाओ, एवामेव सपुत्वावरेणं

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