Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रकाशिका टीका-पष्ठोवक्षस्कार: सू. २ द्वारदशकेन प्रतिपाद्यविपयनिरूपणम्
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ता अपि वर्षरप्रवाहाः स्युः, एतादृश्यो महानद्यः कियत्यः प्रज्ञताः, तथा - ' - 'केवइयाओ कुंडवहाओ महाणईओ पात्ता' कियत्यः - कियत्संयकाः कुण्डमवाहाः, तत्र कुण्डेभ्यो वर्ष - घर नितम्बस्य कुण्डेभ्यः प्रवहन्ति-निर्गच्छन्ति यास्ता महानचः कियत्यः प्रज्ञप्ताः - कथिता इति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम! 'जंबुडीवे दीवे चोहस महाणईओ वासहरप्पा को जन्बूद्वीपे द्वीपे सर्वद्वीपमध्य जम्बूद्वीपे इत्यर्थः चतुर्द्दशमहानद्यः चतुर्दश संख्या महानद्यो वर्षघरहृदप्रवाहाः प्रज्ञताः कथिताः, तथा - 'छावतारं महाणईओ कुंडप्पनवाओ' पट्सप्ततिः - पट्सप्तति संख्यका महानद्यः कुण्डप्रवादाः कुंडेभ्यः प्रवहनशीलाः प्रज्ञता :- कथिताः, तत्र चतुर्दश महानयो वर्षधर हूदप्रभवाः भरतगङ्गादिकाः प्रतिक्षेत्रं द्वि द्विभावात् तथा कुण्डप्रभश पटसप्तति महानद्यः, तत्र - शीता या उत्तरेष्वष्टम् विजयेषु शीतोदाया याम्येषु अष्टसु विजयेषु चैकैकभावेन पोडशगङ्गाः पोडश सिन्धवश्च तथा शीताया स्वामी ने प्रश्न नहीं किया है किन्तु पद्म, महापद्म आदि जो हूद हैं उनसे जिनका उद्गम हुआ है ऐसी नदियों की संख्या कितनी है यह जानने के लिये यह प्रश्न किया गया है तथा केवइयाओ कुंडप्पवाहाओ महाणईओ पद्मन्ताओ' जो वर्षधर के नितम्वस्थ कुण्डों में से निकली हैं ऐसी महानदियां कितनी हैं ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं - 'गोगमा ! जंबुद्दीवे दीये चोदस महाणईओ वासहरप्पवाहाओ' हे गौतम ! इस जंबुद्वीप में जो वर्षधर पर्वतस्थ हूदों से महानदियां निकली हैं ऐसी वे महानदियां १४ हैं तथा - 'छावत्तरं महाणईओ कुण्डप्पवाहाओ' जो महानदियां कुण्डों से निकली हैं वे ७६ हैं । १४ महानदीयों के नाम गंगा सिन्धु आदि है । हरएक क्षेत्र में ये दो दो बहती है भरतक्षेत्र में गंगा सिन्धु ये दो महानदियां बहती है तथा कुण्ड प्रभवा जो ७६ महानदियां हैं उनमें शीता महानदी के उत्तर में आठ विजयों में और शीतोदा के याम्य आठ विजयों में एक, एक कुण्डप्रभचा महानदी बहती है इससे १६ गंगा
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મહાપદ્મ, વગેરે જે હૃàા છે તેમનામાંથી રેમનું ઉદ્ગમ થયુ છે, એવી નદીઓની સ ંખ્યા हैटसी छे, मे लक्ष्या सारे नहीं था प्रश्न ४२मां आवे छे तेभन के इवाओ कुंडप्पवाहाओ महाणईओ पन्नत्ताओ' हे वर्ष धरना निम्भस्थ हुमांथी नाणे छे, देवी महा नहीओो डेटसी है ? सेना त्रासां अलु हे छे- 'गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे चोहस महणईओ श्राप्तहरप्पवाह्नाओ' हे भातभ ! या मूढी पसले वर्ष पत्रस्थ होथी महानहीओ नीरजी छे, देवी ते महानही १४ हे. ते 'छावत्तरिं महाणईओ कुण्डप्पवाहाओ' ? भहाનદીએ કુંડમાંથી નીકળી છે તે ૭૬ છે. ૧૪ મહાનદીએના નામેા ગ ંગા સિંધુ વગેરે છે. દરેક ક્ષેત્રમાં એ મહાનદીએ ખખે વડે છે. ભતક્ષેત્રમાં ગંગા અને સિધુ એ એ મહાનદીએ વડે છે, તેમજ કુડપ્રભવા જે ૭૬ સડાનીએ છે તેમનામાં શીતા મહાનદીના ઉત્તરમાં આઠ વિજયામાં અને શીતાદાના ચામ્ય આઠે વિજયામાં એક-એક કું ડપ્રભવા