Book Title: Jambudwip Pragnaptisutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 748
________________ प्रकाशिका टीका-पञ्चमवक्षस्कार: सू. १२ शकस्य भगवतो जन्मपुरप्रयाणम् ७३७ वेसनणं देवं सदावेइ सदावित्ता एवं क्यासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! बत्तीतं हिरण्णकोडिओ बत्तीसं सुवष्णकोडिओ बत्तीसं गंदाइं बत्तीसं भदाई सुभगे सुभगरूवजुवणलावणेअ भगवओ तित्थयरस्त जम्मण. भवणंलि साहराहि साहरिता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणाहि तएणं से वेलमणे देवे सबकेणं जाव विणएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता भए देवे सदाबेइ सदावित्ता एवं वयासी-खियामेव भो देवाणुपिया! बत्तीसं हिरण्णकोडीओ जाव भगवओ तित्थयरस्स जम्मणभवणंसि साहरह साहरित्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणह तए णं ते जंभगा देवा वेसमजेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा हटतुटु जाव खिप्पामेब बत्तीसं हिरण्यकोडीओ जाव च भगवओ तित्थयरस्त जम्मणभवणंसि साहरति साहरिता जेणेव समणे देवे तेणेव जाव पच्चप्पिणति तए णं से देसमणे देवे जेणेव सरके देविदे देवराया जाव पञ्चप्पिगइ, तएणं से सक्के देविंदे देवराया आमिओगे देवे सदावेइ सदावित्ता एवं वयासी--विप्पामेव मो देवाणुप्पिया ! भगवओ तित्थयरस्स जम्मणणयरंलि सिंघाडग जाव महापहपहेसु महया महया सदेणं उम्घोसेमाणा उग्धोसेमाणा एवं बदह हंदि सुगंतु भवंतो बहवे भवणवइ वाणमंतरजोइसवेमाणिया देवा य देवीओ अजेणं देवाणुपिया ! तित्थयरस तित्थयरमाउए वा असुभ मणं पधारेइ तस्स णं अजगमंजरिआइय सयधा मुद्धाणं फुद्दउ तिकटु घोसणं घोसेह घोसित्ता एयमाणत्ति पञ्चप्पिणहत्ति तएणं ते आभिओगा देवा जाव एवं देवो त्ति अगाए पडिसुणति पडिसुणित्ता समस्त देविंदस्स देवरण्णो अंतिआओ पडिमिक्खमंति पडिणिक्वमित्ता खिप्पासेव भगवओतित्थयरस्स जम्मण णगरंसि सिंबाडम जाव एवं क्याली हंदि सुगंतु भवंतो बहवे भवणवइ जाव ने णं देवाणुप्पिया ! तित्थयरस्त जाव फुट्टिहो तिकट्ठ घोसणगं घोसति घोसित्ता एअमाणत्ति पञ्चविणंति, तए णं ते बहवे भवणवइ

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