Book Title: Jainagama Thoak Sangraha
Author(s): Chhaganlal Shastri
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 10
________________ [२] ४१७ ४१६ ४२१ ४२२ ४२८ ४४८ ४५५ ४६० २५ श्वासोश्वास २६ अस्वाध्याय २७ बत्तीस सूत्रों के नाम २८ अपर्याप्ता तथा पर्याप्ता द्वार २६ गर्भ विचार ३० नक्षत्र और विदेश गमन ३१ पांच देव ३२ श्राराधिक विराधिक ३३ तीन जाग्रिका (जागरण) ३४ छः काय के भव ३५ अवधि पद ३६ धर्म ध्यान ३७ छः लेश्या ३८ योनि पद ३६ आठ प्रात्मा का विचार ४० व्यवहार समकित के ६७ बोल ४१ काय-स्थिती ४२ योगों का अल्प बहुत्व ४३ पुद्गलों का अल्प बहुत्व ৪৪ স্মান্ধাহা স্বী ४५ बल का अल्प बहुत्व ४६ समकित के ११ द्वार ४७ खण्डाजोयणा ४८ धर्म के सम्मुख होने के १५ कारण ४६ मार्गानुसारी के ३५ गुण ५० श्रावक के २१ गुण ५१ जल्दी मोक्ष जाने के २३ बोल ४६७ ४६८ ४७१ ४८२ ४८६ ४६१. ४६५ ५०१ ५१० ५१२ ५१८ ५२१ ५३६ ५४१ ५४३ ५४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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