Book Title: Jain Viaha Vidhi Author(s): Sumerchand Jain Publisher: Sumerchand Jain View full book textPage 5
________________ प्रकाशक के दो शब्द यो नो जैन समाज में "विवाह पद्धति" सम्बन्धी कितनी ही पुस्तकें आज तक प्रकाशित हो चुकी हैं, परन्तु वह सब ही बहुत और जटिल हैं. ऐसी पुस्तकें फालतू समय में भव्यजन के लिये कितनी हो उपयोगी हों, परन्तु विवाह संस्कार के समय ऐसी पुस्तकें बड़ी ही कठिनता पैदा करने वाली हैं। ऐसे उतावली के समय में इनमें से उपयोगी विधान और पाठों का छांट निकालना सर्व साधारण के लिये आसान काम नहीं है इसलिये f सर्व साधारण के सुमति के लिये एक संक्षिप्त सरल और सुगम विवाद पद्धति का प्रकाशित होना बहुत जरूरी है, इसी कमी को महसूस करते हुये मैन जैन शास्त्र और मध्यभारत की प्रचलित रीति के अनुसार इस विवाह पद्धति को प्रकाशित कराने का are किया है। यदि मेरे हम प्राम से fears संस्कार कराने वाले महानुभावों को कुछ भी सुभीता प्राप्त हुआ तो मैं अपने इस प्रयास को सफल समभुंगा । इस पुस्तक के संग्रह और प्रकाशन कराने में मुझे जैन हाईस्कूल पानीपत के उपसभापति धर्मवत्सल श्रीमान बाबू जयभगवान वकील, मैनेजर पंनिमुत्रनदास, संस्कृत अध्यापक - फुलजारीलाल शास्त्री, हिन्दी सत्यापक पंड गीपणाच देहली निवासी ला पन्नालाल जैन अग्रवाल व पं०जुगलकिशोर जी मुख्तार सरसावा से बहुत सहायता मिली है, इनके अतिरिक्त जिन महानुभावों ने इसमें सहायता दी है उन सब का आभारी है। देही, २ सुमेरचन्द जैनPage Navigation
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