Book Title: Jain Viaha Vidhi
Author(s): Sumerchand Jain
Publisher: Sumerchand Jain

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Page 39
________________ ( २ ) मम बामाङ्गी भव । (अर्थात् यदि मेरी इन सात शर्तों को म्वीकार करो तो मेरी वामांगी हो सकती हो । तब वधू कहे कि 'भगवन्तः कल्याणं करिष्यन्ति' अर्थात् ये समस्त प्रतिज्ञायें मुझे स्वीकार हैं। कन्या क सात वचन १ ---अन्यस्त्रीभिः सह क्रीडा न करणीया (अन्य स्त्रियों के साथ क्रीडा मत करना) २-वंश्यागृह न गन्तव्यम् (वेश्यादि खराब स्त्रियों के घर पर मत जाना) ३-~-बूतक्रीडा न कार्या (जत्रा मत खेलना) -सदद्योगात् द्रव्यमुपायं वस्त्राभरणैः ममरक्षाकरणीया (न्यायानुकूल उद्योगधन्धों में धन कमाकर मेरी रक्षा करना) ५-~-धर्मस्थानगमने न वर्जनीया (मन्दिर, तीर्थ क्षेत्रादि धर्म स्थान पर जाने से मुझे मत रोकना) ६----गुप्तवार्ता न रक्षणीया ( कोई बात मुझ से गुप्त मत करना) ७----मम गुप्तवार्ता अन्याये न कथनीया (मेरी गुप्त बात मरे के आगे प्रकाशित मत करना । 'भगवन्तः कल्याणं करिष्यन्ति' इति वरोवदेत अर्थात् वर कहे कि ये सातों प्रतिज्ञायें मुझे स्वीकार हैं।

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