Book Title: Jain Viaha Vidhi
Author(s): Sumerchand Jain
Publisher: Sumerchand Jain

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Page 22
________________ ( १२ ) २ मौड़ी बन्धन और पटका बन्धनः पूजा विधान के उपरान्त लड़की के सिर पर रोली से बने स्वतिक चिह्नों से चिह्नित मौड़ी को बांधा जाये, तत्पश्चात बेटे वाले से पटका लेकर उसके दोनों सिरों पर रोली मे स्वस्तिका के निशान किये जायें, और उसके एक सिरे में दूब घाम, पीले चावल, एक टका - दो पैसे, हल्दी को गिराह और सुपारी बांधकर उसे लड़की के पौंचे के साथ बांध दिया जावे और पटके का दूसरा सिरा लड़के को दे दिया जावे । ३ शाखोच्चारण: तदुपरान्त शाखोच्चारगा होना चाहिये अर्थात पहिले निम्नरीति से वर पक्ष का शाखोच्चार और उसके बाद कन्या पक्ष का शाखोच्चार होना चाहिये | बन्दू देव युगादि जिन, गुरु गौतम के पाय । सुमरूँ देवी शारदा, ऋद्धि सिद्धि वरदाय ॥ १ ॥ अब आदीश्वर कुमर को, सुनियो व्याह विधान । विधन विनाशन पाठ है, मंगल मूल महान ॥ २ ॥ इस ही भरत सुक्षेत्र में, आरज खण्ड मकार | सुख सों बीते तीन युग, शेष समय की बार ॥ ३ ॥ चौदह कुलकर अवतरे, अन्तिम नाभि नरेश । सब भूपन में तिलक सम, कौशल पुर परमेश ॥ ४ ॥

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