Book Title: Jain Viaha Vidhi
Author(s): Sumerchand Jain
Publisher: Sumerchand Jain
View full book text
________________
( २६ )
स्वाहा ||८|| ॐ परंपरेन्द्राय स्वाहा ||६|| ॐ अहमिन्द्राय स्वाहा ||१०|| ॐ परमार्हताय स्वाहा ॥ ११ ॥ ॐ अनुपमाय स्वाहा ||१२|| ॐ सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे कल्पपते कल्पपते दिव्यमूर्त्ते दिव्यमूर्ते वज्रनामन् वज्रनामन
स्वाहा ||१३||
इस तरह १३ आहूति दे वही पहिले लिखित आशीर्वाद सूचक मंत्र पढ़ आहूति दे पुष्प क्षेपे ।
अथ परमराजादि मंत्र ।
ॐ सत्यजाताय स्वाहा || १ || ॐ अर्हज्जाताय स्वाहा ||२|| ॐ अनपमेन्द्राय स्वाहा || ३ || ॐ विजयार्च्यजाताय स्वाहा ||४|| ॐ नेमिनाथाय स्वाहा ||५|| ॐ परमजाताय स्वाहा || ६ || ॐ परमार्हताय स्वाहा ||७|| ॐ अनुपमाय स्वाहा || || ॐ सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे उग्रतेजः उग्रतेज: दिशांजय दिशांजय नेमिविजय नमिविजय स्वाहा ॥६॥
इस तरह ६ आहूति दे वही आशीर्वाद सूचक मंत्र पढ़ आहूति है पुष्प क्षेपे ।
अथ परमेष्ठिमंत्र |
ॐ सत्यजाताय नमः || १ || ॐ अर्हज्जाताय नमः ||२|| ॐ परमजाताय नमः || ३|| ॐ परमार्हताय नमः ||४||
ॐ परमरूपाय नमः ॥ ५॥ ॐ
परमतेजसे नमः ||६||
परमगुणाय नमः ||७|| ॐ परमस्थानाय नमः ||८||
ह

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47