Book Title: Jain Viaha Vidhi
Author(s): Sumerchand Jain
Publisher: Sumerchand Jain

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Page 26
________________ धर्ममूर्ति धर्मावतार शाहनपति शाह जैन धर्म परायण अमुक ( गोत्र का नाम ) गोत्रोद्भव श्रीमान् ला० जी पुत्राय नेम धर्म चोचीसी स्वामी पार्श्वनाथ जी सदा सहाय । पश्चात बेटी वाले की ओर मे शा बोच्चार व बंशावली निम्न प्रकार से पढ़नी चाहिये धर्ममूर्ति धर्मावतार शाहनपति शाह जैनधर्म परायण अमुक ( गोत्र का नाम ) गोत्रोद्भव श्रीमान् ला० जी प्रपौत्रीय नम धर्म चौबीसी स्वामी पार्श्वनाथजी सदा सहाय । धर्ममूर्ति धर्मावतार शाहनपति शाह जैनधर्म परायण अमुक (गोत्र का नाम) गोत्रोद्भव श्रीमान् ला० जी पोत्रीय नेम धर्म चौबीसी स्वामी पार्श्वनाथ जी सदा सहाय । धर्ममूर्ति धर्मावतार शाहनपति शाह जैन धर्म परायण अमुक ( गोत्र का नाम ) गोत्रोद्भव श्रीमान् ला. जी पत्रीय नेम धर्म चौबीमी स्वामी पार्श्वनाथ जी सदासहाय । मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमो गणी । मंगलं कुंदकँदायो, जैन धर्मोऽस्तु मंगलं ॥ ये श्लोक पढ़ कर वर कन्या पर पुष्प क्षेपण कर देने चाहिये ।

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