Book Title: Jain Siddhant Prashnottara Mala Part 01 Author(s): Devendra Jain Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust View full book textPage 7
________________ श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला रोके, उतने भाग को प्रदेश कहते हैं । उस एक प्रदेश द्वारा सर्व द्रव्यों के क्षेत्र का नाप निश्चित् किया जाता है। प्रश्न 22 - कालद्रव्य किसे कहते हैं ? उत्तर - जो अपनी-अपनी अवस्थारूप स्वयं परिणमित होनेवाले जीवादिक द्रव्यों को परिणमन में निमित्त हो, उसे काल द्रव्य कहते हैं; जैसे कुम्हार के चार को घूमने में लोहे की कीली। प्रश्न 23 - काल के कितने भेद हैं? । उत्तर - दो भेद हैं - निश्चयकाल और व्यवहारकाल। प्रश्न 24 - निश्चयकाल किसे कहते हैं ? उत्तर - कालद्रव्य को निश्चयकाल कहते हैं। लोकाकाश के जितने प्रदेश हैं, उतने ही कालद्रव्य हैं और लोकाकाश के एकएक प्रदेश पर एक-एक कालद्रव्य (कालाणु) स्थित हैं। प्रश्न 25 - व्यवहारकाल किसे कहते हैं ? उत्तर - कालद्रव्य की समय, पल, घड़ी, दिवस, महीना, वर्ष आदि पर्यायों को व्यवहारकाल कहते हैं। प्रश्न 26 - जीवादिक द्रव्य कितने-कितने हैं? और वे कहाँ रहते हैं ? उत्तर - जीवद्रव्य अनन्त हैं और वे सम्पूर्ण लोकाकाश में विद्यमान हैं। जीवद्रव्य से अनन्तगुने पुद्गलद्रव्य हैं और वे सम्पूर्ण लोकाकाश में भरे हैं। ____ धर्म और अधर्मद्रव्य एक-एक हैं और वह सम्पूर्ण लोक में व्याप्त हैं।Page Navigation
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