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प्रकरण पहला
द्रव्य का स्वभाव गुण-पर्यायरूप है - ऐसा सूत्र में कहकर द्रव्य का अनेकान्तपना सिद्ध किया है।
द्रव्य, गुण और पर्याय वस्तुरूप से अभेद-अभिन्न हैं। नाम, संख्या, लक्षण और प्रयोजन की अपेक्षा से द्रव्य, गुण और पर्याय में भेद है, किन्तु प्रदेश से अभेद है। इस प्रकार वस्तु का भेदाभेद स्वरूप समझना चाहिए।' (मोक्षशास्त्र, अध्याय 5, सूत्र 38 की टीका)