Book Title: Jain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

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Page 6
________________ समर्पण इतिहासरसिक, साहित्यसर्जक मुनिजनों और उनके सुकृत्यों को विश्व पटल पर उपस्थित करने वाले वर्तमान युग के मनीषियों तथा इस रचना के प्रेरणास्रोत स्व. अगरचन्दजी नाहटा एवं स्व. भंवरलालजी नाहटा की पुण्य स्मृति में इसके शिल्पकार Jain Education International सुप्रसिद्ध कलाविद् एवं इतिहासमर्मज्ञ प्रो. एम. ए. ढांकी को सादर समर्पित मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सब तोर । तेरा तुझको सोंपते, क्या लागे है मोर ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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