Book Title: Jain Satyaprakash 1936 10 SrNo 15
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૧૯૯૨ ८७ શ્રી ગૌતમસ્વામિ તેત્રમ कनियवरसियपक्खे-पढमे दियहे पहायसमयम्मि । जो सव्वष्णू जाओ-तं गणहरगोयमं वंदे ।। २० ।। मिरिवीरपट्टगयणे-दिणयर माणंददेसणापण्णं ।। झाणाई यसहावं- गणहरसिरिगोयमं वंदे ॥ २१ ।। बारससमपरियाओ-केवलिभावेण जस्स विक्ग्वाओ । वाणवइवरिसमाणं-संपुण्णं जीवियं जस्स ॥ २२ ॥ पाओवगमणभावे-मासियभत्तेण रायगिहणयरे ॥ संपण्णसिद्धिसंगं-गणहरसिरिगोयमं वंदे ॥ २३ ॥ अमरणरिंदा णिचं- पणमंति पहाणपुण्णपयं ।। सो सिरिगोयमसामी-संघगिहे मंगलं कुजा ॥ २४ ॥ मुगहियनामधिजा-आयरिया जोगसुद्धिदित्तिहरा ॥ णामं जस्स पसत्थं-झाअंति लहन्ति सचमुहं ॥ २५ ॥ तं नत्थि भुवणमज्झसिज्ज्ञिजा जं न गोयमस्सरणा ॥ सिरिगोयममप्पभवा-पण?पावा सरंति णरा ॥ २६ ॥ पण्णरसतावसपत्थ-प्पयाणसत्तं सुवष्णकयकमले ॥ सोहासणे निसण्णं-वंदे गुरुगोयमं विहिणा ॥ २७ ॥ वासबसेवियचरणं छत्तत्तयचामराइकयसोहं ॥ जेणं मुररुकवाई-पराजिया सप्पहावेणं ॥ २८ ॥ तं गुरुगोयमसामि-अचंति णमंति लद्धपुण्णभरा ॥ सयउस्सवो य तेसिं-चित्तत्यो गोयमो जेसि ॥ २९ ॥ जुम्मणिहिग्गहसोम-प्पमिए वरिसेऽन्नभवयमासे ॥ सियपंचमिंदुवारे-पुण्णे सिरिरायनयरम्मि ॥ ३० ॥ सिरिगोयमपहुथुत्तं गुरुवरसिरिणेमिमूरिसीसेणं ॥ पउमेणायरिएणं-विहियं पमणंतु भव्ययणा ॥ ३१ ॥ लच्छीप्पहपढणटुं-रयणा थुत्तस्स भव्यभद्दयरा ॥ पढणाऽऽयणणभावा-सव्वेसि सव्वो मुहया ॥ ३२ ॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44