Book Title: Jain Sahitya Suchipatra
Author(s): Ratnatrayvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay

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Page 5
________________ संपादक की कलम से....... श्री समेतशिखर महातीर्थ में पारसनाथ पहाड के अन्तर्गत कुर्थीबारी में नवनिर्मित २३ जिनालयों की अंजनशलाका प्रतिष्ठा के पावन प्रसंग पर सं. २०६५ - मागसर सुद - १०२७ नवम्बर के दिन " श्री जैन साहित्य प्रदर्शन" का कार्यक्रम रखा था । जिसमें श्वेताम्बर दिगम्बर - तेरापंथी - स्थानकवासी चारों फिरको के १०८ प्रकाशनों के २००० पुस्तको का संग्रह हुआ था । यह कार्यक्रम आ.वि. राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. / आ.वि. श्री राजशेखर सूरिश्वरजी म.सा. / आ.वि. श्री रत्नाकर सूरीश्वरजी म.सा. आदि १५० साधु-साध्विजी भगवंत की निश्रा हुआ था । यह जैन साहित्य कौन से गुरु भगवंत का है ? कौन से प्रकाशक का है ? कितनी पुस्तके हैं ? पुस्तकों का नाम-भाषा-किंमत की जानकारी के लिये यह सूची पत्र प्रकाशित है । जिस-जिस प्रकाशन की जितनी पुस्तके हमारे पास आयी उन सभी का संग्रह इस सूचीपत्र में कीया है । इस सूचीपत्र में अनेक प्रकाशनों के पुस्तको का संग्रह किया है । इसको ध्यान से पढकर पुस्तके मंगवाकर ज्ञानभंडार को समृद्ध व अपने जीवन को अभिवृद्ध करके सुकृत के सहभागी बने । इस साहित्य प्रदर्शन में पंन्यास राजपद्मविजयजी / पंन्यास राजरत्न विजयजी / पंन्यास राजहंस विजयजी आदि मुनि मंडल का अच्छा सहयोग रहा । हमारा विचार यह सूचिपत्र का समर्पण आचार्य भगवंत श्री राजेन्द्र सूरिजी के चरणों में करने का था । मगर थोडा विलंब होने पर कलिकुंड तीर्थ में कलिकुंड तीर्थोद्धारक श्री राजेन्द्र सूरीजी की तृतीय मासिक तिथि पर यह पुस्तक का " विमोचन" होगा ।

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