Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna

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Page 85
________________ अंक २] डॉ. हर्मन जेकोबीनी जैन सूत्रोनी प्रस्तावना लिए 'एटले वैशालिक एवं नाम आपलं छ, तेथी शकाय छे आम कहेवार्नु कारण ए छे के, ते पण पुष्टि मळे छे. ते स्थळे, टीकाकारे भा शब्दनी पोताना लग्न संबंधना लीधे मोटा मोटा माणसो मर्थ ये भिन्न भिन्न रीतिए समजाव्यो छे अने वीजे साथे संबंध धरावतो हतो, तेवा उल्लेखो मळी आवे एक स्थळे बीजो अर्थ पण आपली छे. आप्रमाणे छे. तेनी स्त्री त्रिशला ते वैशालीना राजा चेटकनी मळी आवतो अर्थविरोध, एम सायीत करे छे के बहेन हती. अने आ विदेहना राजवंशमा उत्पन्न वैशालिकनो खरो अर्थ शो करयो ते संबंधी स्पष्ट थवाथीज ते वैदेही अगर विदेहदत्ता कहेवाती हती. संप्रदाय नहीं मळी आन्यो हशे; अने तेथी, अर्वा- मारा यत्किचित् जाणवा प्रमाणे चौद्ध ग्रंथोमां चीन जैन विद्वानोनां कृत्रिम अर्थयोधनो तरफ वैशालीना राजा चेटकनो उल्लेख थएलो नथी. पं. यापणे दुर्लक्ष आपत्र उचित छे. वैशालिक शब्दनो रंतु ते ग्रंथोमां एवी हकीकत तो वांचवामां आवे स्पष्टार्थ 'वैशाली निवासी' एवो थाय छै अने छ के वैशालीन राज्यशासन एक अमीर मंडळने कुण्डग्राम वैशालीनुं पर होवाथी महावीरनु ते नाम सोपवामां आव्युं हतुं अने ते मंडळनो अध्यक्ष एक वास्तविक गणी शकाय छे-जेम टनहामग्रीननो राजा हतो. राज्यमा अन्य सत्ताधारी तरीके मात्र रहेवाशी लण्डनर (Loniloner) तरीके ओळखाय एक राजप्रतिनिधि (Viceroy) अने वीजो सेनापति छ तेम. ज्यारे आ प्रमाणे कुण्डग्राम वैशालीन एक हतो. लिच्छविओना आ अजाययी भरेला राज्यतं. पलं मात्र हतुं, त्यारे एपण स्पटज छ के ते गामनो नी झांसी जैन ग्रंथोमां पण आपणने थई शके छे. राजा पण वधारेमां वधारे एक नानो सरदारज निरयावली सत्रमा एक वर्णन छ के-ज्यारेचम्पामा होचो जोईए. जो के जैनो पोताना अनुरागावि- राजा कृणिक उर्फे अजातशत्रुए चेटक राजा क्यने लईने, सिद्धार्थ एक खरेखर प्रबळ राजा हतो उपर मोटी सेना लई हुमलो करवानी तैयारी करी, एम कल्पी तेनी राजलक्ष्मीनो घणांज देदीप्यमान त्यारे चेटक राजाए काशी, कोशल, लिच्छवियो अने आदर्शभूत वर्णोमां चितार आपे छे खरा; परंतु अने मल्लकियोना १८ संयुक्त राजाओने एकत्र तेमनां वर्णनामांथी अलंकारोना आमरणो उतारी करी, तेमने पूछयु के तमारो अभिप्राय कूणिकनी लीधां पछी ए सत्य सहेलाईथी प्रकट थई जाय छे मागणीओने पूरी करवानो छे के तेनी साथे युद्ध के सिद्धार्थ एक मोटो राजा नहीं पण मात्र अमीर करवानो छ? आ सिवाय एक एचो पण उल्लेख हतो. अने ते आ प्रमाणे:-सिद्धार्थने अनेक स्थळे मळी आवे छे के, महावीरना निर्वाण वखते, आ मात्र क्षत्रियज कहेलो छे, तथा तेनी पत्नी जेनुं नाम १८ राजाओए ते प्रसंगनी यादगीरी माटे एक त्रिशला हतु, तेने पण हमेशा क्षत्रियाणी तरीकेज उत्सव उजवानो ठराच को हतों. परंतु, आ वर्णवेली छे. ज्यां सुधी मने स्मरण छे, तेने देवी ठेकाणे चेटकनो, के जेन ए सर्वे राजाओनो महा. तरीफे क्यांए लखी नथी. तेमज ज्ञात्रिक क्षत्रियो राजा तरीके बतायवामां आवे छे तेनी, पृथक् पण दरेक स्थळे तेओ सिद्धार्थना समान पदवाळा नामनिर्देश थएलो नी. आधी संभावित छे के चटक होय तेवी रीते वर्णवामां आव्यां छे नहीं क तेना - (सिद्धार्थना) सामंतो अगर तावेदारो तरीके. आ १ जुओ कल्पसूत्रनी मारी आवृत्ति, पृ. ११३. अहीं हकीकतो उपरथी एम मालुम पडे छे, के सिद्धार्थ चेटकन महावीरना मामा तरीके जणावेलो छ. राजा न हतो, तेम ते पोतानी जातिनी नेता पण न २ जुओ कल्पसूत्र, जिनचरित्र, ६११०, आचारांग २, हतो; परंतु, पूर्वीय देशोमांना जमीनदारो अने तेमा १५, १५. पण खास करीने देशना प्रतिष्टित उमरावो जेटली ३ Turnour in the Journal of the Royal सत्ता भोगवे छे तंटली सत्ता धरावनारो ते एक Asiatic Socicly of Bengal, VIJ, p. 992. क्षत्रिय हतो. छत्तां पण ते तेनी साथेना अन्य सर- ४ Ed. Warren, p. 27. दारो करतां बधारे लागवगवाळो हतो, एम कही ५ जुओ कल्पमूत्र, जिनचरित्रा.

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