Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna

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Page 136
________________ जैन जागृति ******** जैन जागति पाक्षिक पत्रः ). सम्पादक मुनिराज श्रीजिनविजयजी जैन जागृति नमेचैन हो ? जैन समाजनी सरी हालत.) उपर पण सारा सारा लेखो अने विचारों- एमा जाणवा इच्छो छो? जैन धर्मनी उन्नति थाय हमेशा आव्या करो रोम चाही छो ? दुकाणमा कहीए तो जैन संघमा वळवणी विषयक, व्यापारविषयक राष्ट्रविषयक समाज. विषयक अने धमेविषयक दरेक प्रकारनी जा गति उत्पन्न करवा माटे ए पत्र प्रसिद्ध करवामा आवे छे." जो आ प्रश्नांना उत्तर 'हो ? एम आपवानी | गंजा होय तो तो आजे ज. एक कार्ड लग्खी जैनजाति नामना पाक्षिक पत्रना ग्राहक लीस्टमां यो नाम करायचो. 'आरतबपना नवीन उदयना वेसता चर्षे एटले अवनी कार्तिक शदी प्रतिपदाना, दिवसे--था प्रथम अंक, प्रकटे थशे अने पछी हमेशा दर प्रतिप्रदाना दिवस त प्रकट धतुं रहेशे.. -", जैन समाज ने उत्तम अतै साम बांचन आपना भाट, तेमज दरेक सामाजिक अन धार्मिक म पत्रना आदीमाङ्के विशेष लग्यबू नकाम डे कारण के सूज वानको एंटला उपर थी जा ने यावनमविचारी शेकशे के पर्नु सम्पादन कार्य स्वयं मुनिराज श्रीजिनविजयजी महाराजना हस्तक धश “किं बहुना ?, पथनी भाषा मुख्य करीने गुजराती रहेश.. धनोना पंचपातशून्य, विद्वत्तापूर्ण अनं युक्तिसंगत । परंतु लिपि देवनागरी (बलवान ) रहेश जेथी "खुलासा आपा मारे आ पत्र प्रकट करवामां पंजाब, राजपुताना ते पूर्वदेशना भाईओ पण आवे छे. एमी योधकारक, मार्गदर्शक, उत्साह-- सरलताथी तेना लाभ हुई शकशें प्रेरक, समुचि उत्पादक अने आनंद दायक लेखो आवणे. जैन समाजनी वर्तमान परिस्थि-| निओ उपर प्रामाणिक विचारो दर्शाववामां आ] वशे, जीवन कहना आ भयंकर संक्रांतिकाल सा आपणुं व्यावहारिक वर्तन केनुं होचु जोईए ? | -जडवादना प्रचंड तोफानी लमयमा आप धार्मिक आचरण कबु धधुं जोईए ? अने स्थालपता आ उच्छृंखल युगमां आपणुं सामाजिक, पंधारण के वन जोईए ? ए प्रश्नो उपर आ पत्रमा ऊपोह करवामां आवशे. सामाजिक अने धार्मिक विषयो उपरांत, नैतिक, वैज्ञा निक, ऐतिहासिक, साहित्यिक आदि विषयोः Publishr—Bechandas Jivaraj Pandit, Jain Snhitva, Sanshodhaka Fergusson College Road, Poona Gits, Printer =1axmiau Bhanrao Ko]:ale Hanumn Press' Satdishiv, 300 Pooni City. "पत्रनु वार्षिक लवाजम. टपाल “खर्च साथै, || रु० ( अढी रूपिया ) राखत्रामा आवशे यांन हफी पुरती जे नकलो काढवामा आवशे. तेथी ग्राहरु थवा इच्छनारने तुरतमाज: एक कार्ड लखी तेची सूचना करी देवा विनंती छे. पत्र व्यवहार नविना शिरनामे करवी. व्यवस्थापक, Dawajib जैन जागृति कार्यालयः 1 C/o भारत जैन विद्यालय, 931-1921.

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