Book Title: Jain Mahapurana Kalaparak Adhyayana Author(s): Kumud Giri Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 9
________________ आभार प्रस्तुत पुस्तक गुरुजनों, शुभचिन्तकों, मित्रों तथा विभिन्न संस्थाओं की प्रेरणा एवं सहयोग से ही पूर्ण हो सकी है, अतः यहां उन सबके प्रति आभार व्यक्त करना अपना कर्त्तव्य समझती हूँ । पुस्तक को पूर्णता में कार्य प्रारम्भ से समाप्ति तक सतत उत्साहवर्धन, परामर्श, संशोधन परिमार्जन एवं मार्ग दर्शन के लिये मैं गुरुवर डॉ० मारुतिनन्दन तिवारी, रीडर, कला - इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की चिरऋणी रहूँगी । एलोरा की जैन गुफाओं की मूर्तियों के तुलनात्मक अध्ययन - विवेचन में डॉ० तिवारी की सहायता विशेषत: उल्लेखनीय है । पुस्तक का उपोद्घात लिखकर उन्होंने विशेष कृपा की है जो मेरे लिए उनका आशीर्वाद है । मैं उन सभी आचार्यों एवं लेखकों की भी आभारी हूँ जिनकी कृतियों से मुझे प्रस्तुत पुस्तक को पूरा करने में सहायता मिली है, इस सन्दर्भ में कला - इतिहास विभाग के सभी गुरुजनों के प्रति अपना आभार व्यक्त करती हूँ, जिनकी प्रेरणा एवं परामर्श मेरे कार्य को निरन्तर गति देते रहे हैं । ग्रन्थ के प्रकाशन के निमित्त वित्तीय सहयोग के लिये मैं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली की आभारी हूँ | ग्रन्थ प्रकाशनार्थं पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वर्तमान नाम पार्श्वनाथ विद्यापीठ को धन्यवाद देती हूँ । संस्थान के निदेशक डॉ० सागरमल जैन की तत्परता से पुस्तक के प्रकाशन को विशेष गति मिली है, एतदर्थ में उनके प्रति आभार प्रकट करती हूँ । वर्द्धमान मुद्रणालय, वाराणसी भी धन्यवाद का पात्र है जिसने पाठ और चित्रों का मुद्रण कार्य सुरुचिपूर्ण ढंग से सम्पन्न किया। चित्रों की व्यवस्था के लिये मैं अमेरिकन इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डियन स्टडीज, वाराणसी तथा गुरुवर डॉ० मारुतिनन्दन तिवारी, रीडर, कला - इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की विशेष रूप से आभारी हूँ । यह पुस्तक मुख्यतः जैन कला और इतिहास के जिज्ञासु पाठकों के लिये तैयार की गई है किन्तु विश्वास है कि शोध की दृष्टि से भी पुस्तक का उपयोग होगा । विश्वास है कि सुधी पाठक पुस्तक की त्रुटियों को ओर मेरा ध्यान आकृष्ट करने की कृपा करेंगे, जिससे भविष्य में पुस्तक में समुचित संशोधन और परिमार्जन में सहयोग मिलेगा । 'दयाघाम', सूर्यकुण्ड, वाराणसी कुमुद गिरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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