Book Title: Jain Mahapurana Kalaparak Adhyayana
Author(s): Kumud Giri
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 10
________________ विषय-सूची विषय प्रकाशकीय उपोद्घात आभार संकेत-सूची प्रथम अध्याय : पूर्वपीठिका महापुराण की विषय वस्तु ९, महापुराण के रचनाकार एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि-गुरु परम्परा १८, स्थान विचार १९, काल विचार १९, जिनसेन एवं गुणभद्र की रचनायें २१, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि राजनीतिक २२, धार्मिक २४, सामाजिक २६ । द्वितीय अध्याय : जैन देवकुल ३४-५७ प्रारम्भिक काल ३४, शलाकापुरुष ३५, कृष्णबलराम ३७, लक्ष्मी ३७, सरस्वती ३७, इन्द्र ३८, नैगमेषी ३८, यक्ष ३९, विद्यादेवियाँ ३९, लोकपाल ४१, अन्य देवता ४१, परवर्ती काल ४२, यक्ष-यक्षी ४३, विद्यादेवियाँ ४४, राम और कृष्ण ४५, भरत व बाहुबली ४६, जिनों के माता-पिता ४६, दिक्पाल ४७, नवग्रह ४७, क्षेत्रपाल ४८, ६४ योगिनियाँ ४८, गणेश ४८, ब्रह्मशान्ति यक्ष ४८, कपर्दी यक्ष ४९ । तृतीय अध्याय : तीर्थकर ( जिन ) ५८-११८ तीर्थंकर-चैत्यवृक्ष ६१, ऋषभनाथ (या आदिनाथ) ६५, अजितनाथ ७२, सम्भवनाथ ७५, अभिनन्दन ७६, सुमतिनाथ ७७, पद्मप्रभ ७८, सुपार्श्वनाथ ७९ चन्द्रप्रभस्वामी ८०, सुविधिनाथ (या पुष्पदन्त ) ८१, शीतलनाथ ८२, श्रेयांसनाथ ८३, वासुपूज्य ८४, विमलनाथ ८५, अनन्तनाथ ८६, धर्मनाथ ८६, शान्तिनाथ ८७, कुन्थुनाथ ८९, अरनाथ ९०, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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