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[10011 सं० १५१७ वर्षे फाण शु ११ शनौ सीणुरावासि प्राग्वाट व्यण चूमा नागरी पुत्र सा० देहाकेन ना रूपिणि पुत्र गरु आदि कुटुम्ब युतेन निज श्रेयसे श्री श्री विमलनाथ मूलनायक बिंबालंकृत चतुर्विंशति पट्टः का प्रा तपागचे श्री रत्नशेषर सूरि पट्टे श्री लक्ष्मीसागर सूरिन्तिः ॥
[1002] सं० २५५३ वर्षे माघ सु० ६ रवी रेवती नक्षत्रे प्राग्वाट श्रेण घेघा ला जमलू सुत श्रे० रोमी भार्या श्रे० सोमा नार्या बाबलदे पुत्रहुलू नाम्ना स्वश्रेयसे श्री श्रादिनाथ बिंचं का प्र० तपा श्री लक्ष्मीसागर सूरिनिः ॥ श्रागीया ग्रामे ।
[1093] सं० १५२५ वर्षे चैत्र वदि १० गुरौ जस वास्तव्य हूंबड़ ज्ञातीय वररजा (?) गात्रे घे कर्मणजा ना नानू सुत (?) कान्हा श्रेयोर्थ श्री आदिनाथ बिंब प्रति श्री ज्ञान सागर सूरिनिः॥
[1004] सं० १५२ वर्षे श्रापाड़ सु० १३ रवी ज० झातीय गूदोचा गोत्रे सा जांमा ना मापुरि पु मांझा ना वादहणदे पु० मुना पाहा सहितेन सुता श्रेयसे श्री सुमतिनाथ विवं का० प्र० श्री चैत्रगछे श्री सोमकीर्ति सूरि पट्टे श्री श्री चारुचन्द्र सूरिभिः ॥
[1095] ला संवत् १५५ए वर्षे ज्येष्ठ सु शुक्र उशवाल झा ताहि गोत्रौ सा मूलू ला लूणादे वि० सुहागद पु० सा नाषर ना० नीली पु रणधीर जगा हडी रहा धोपा श्रेयो) श्री सुविधिनाथ सिंबं का प्रण खरतर गछे श्री जिनचन्द सरिनिः।
[1098] संवत् १५३१ वर्षे फागुन सुः ७ शनी उप० झा ईटोजमा गोप साप गपो ना मानू पु० माका पेढा रतना नाला ऊबू पु० जादा सहितेन आत्म श्रेयसे श्री सुमतिनाथ बिंब का प्रति श्री चैत्रगडे श्री सोमकीर्ति सरि पट्टे श्रा० श्री नारचन्ड सरिनिः ॥
"Aho Shrut Gyanam"