Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar
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संवत् नाम १५९५ जिनसमुद्र सूरि १५५६ जिनहंस सूरि
(४) लेखाक संवत् नाम
लेखांक .... १२२४ १८५२ लालचंद्र गणि
१२०५. १२१२ १२६८, १४६३ १८५४ जिनदेव सुरि
... १८२८ ... २०४६ १८६३ जिनहर्ष मूरि .... १३५१ १८६४ ,
१५२६-२८ १४४८, १८४५ १८७१ ... ११९६ - १८७३ ... १३८८ १८७५
१८०१ ४२ १०२७, १६५७५६,१६६२.-६६.१८३६-३८
१६०६ जिनमाणिक्य सुरि १६२८ जिनभद्र सरि १६५३ जिनचंद्र सूरि १६२७१) जिनसिंह सूरि
गुणरत्न गणि , रत्नविशाल गणि १६६८ जिनचंद्र सूरि
१८२१, १८२४
...
१४९७ १९३८ , , १५८५ : १८७७ उ० रनसुन्दर गणि १४५१ १८७७ हारधर्म ( पाठक )
१८६३ जिन महेन्द्र मूरि
...
...
१६६८ लब्धिवर्द्धन १६७५ जिनराज सूरि
१०२७
१६८६
,
,
१८६७
,
,
१९४७
१६७३.१८३०-३२
१६८९ परानयन (8) १६१८ समय राज उपध्याय
अभयसुन्दर गणि (वाचनाचार्य) कमललाम उपाध्याय ...
लब्धकीर्ति गणि , पं. राजहंस गणि ...
, पं० देवविजय गण ... १६६० जिनकीर्ति सूरि ...
- जिनसिंह सूरि ... १७२७ मा राम विनय गणि १८४६ जिनचंद्र सूरि
....
, १८६३ जिन सौभाग्य सूरि
... १६२२ १०१७, १०२०-२१
१८६३ आनन्द वल्लभ गणि
१८९७ कुशलचंद्र गणि. १८०७ - १९१८ जिन मुक्ति सरि
१९२०.२१ .. १८७० १८६६-६८१८७२
"Aho Shrut Gyanam"

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