Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar
View full book text
________________
लेखांक
लेखांक | संवत् नाम ... १७७४ : १८५६ हेमगणि
१६२७ १९२२ अमृतचंद्र सूरि १९७१ : , सागरचंद्र गणि १३५६ : १९३१ विजय सूरि ११७२ । १९४४ सं० रणधीरविजय १९६३ : १६६१ चारित्र सुख
.... १३४६
१६०७, १६७४ ... १८७१
१४४६ १४६८
... ...
संवत् नाम १५५३ धर्मवल्लभ सूरि १५६७ सर्वदेव सूरि १५७१ देवरत्न सूरि १५७३ नंदिवर्धन सूरि १५८७ श्री सूरि १५६७ जिनसाधु सूरि १६०४ हर्षरत्न सूरि १६२२ विजय सूरि १६६६ रत्नविशाल गणि १६.३ मतिचंद्र गणि १७७७ उ० क्षेत्रराम गणि १७६८ विजयऋदि सूरि १८३५ विद्याविजय गणि
, द्धिविजय गणि १८५२ लालचंद्र गणि १८५५ लावण्य कमल गणि
११०८
१४१८
जिनमें सम्बत् नहीं है। १७१५
देव सूरि १०२८ १५५७
महप्प गणि १७४५
जिनसागर सरि उदयशील गणि
স্থান শখি १२७८,१४४१
क्षेमसंदर गणि १४१७ / ... मेषभ मुनि
...
RSA
XXX
"Aho Shrut Gyanam"

Page Navigation
1 ... 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356