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देहली। माला हजारीमलजो का घरदेरासर ।।
देवी की मूर्ति पर।
[1873] * (१) संवत् ११२५ श्री (१) पचासरीय (!) गछे (३) श्रीमद्भवादि संताने (४) चेखकेन विरोठ्या कारिता ॥
चीरेखाने का मंदिर। धातु की मूर्तियों पर।
[1874] सं० ११ए .......।
[1875] सं० १२३४ श्रावलू वदि र सनो जात लीवूदेव श्रेयोर्थ नागदेवेन प्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता मसवादि श्री पूर्ण चंद्र सूरिनिः ।
[1876] सं० १४६१ वर्षे माघ सुदि १७ नाहर वंशे सा घेता पुरा साप तोला जार्या तिहुश्री पु० हेमा धर्मात्यां पितृव्य श्रेय से श्री शांतिनाथ विं कारित प्रति श्री धर्मघोष गछे श्री मलयचंज सूरिभिः ॥ गिर .... ग ।
[1877] संवत् १७०३ वर्षे ज्येष्ट सु० ३........ ।
[1878] सं० १४७५ .... वदि पु श्री ऋषजानन ........।
यह लेख ११ वीं विद्यादेवी को धातु की मूर्ति के पृष्ठ पर खुदा हुवा है। देवी की मूर्ति सुखासन में बेठो दुई रूपैवाहन चार हाथवाली प्राचीन है।
"Aho Shrut Gyanam"