Book Title: Jain Lekh Sangraha Part 2
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 309
________________ (१६४) सोने के चरण पर। [20313 सं० १९२३ दूगड़ धनपतसिंह कारापितं सर्व सूरि प्रतिष्ठित (श्री)संघस्य श्रेयस जातु । दादाजी के चरण पर। [ 20323 रए५७ साल मिति अधन वदि १५ सोमवार निहालचंद इंजचंद उगड़ तस्य परिवार प्रतिष्ठा कारापितं मुर्शिदाबाद ॥ श्री जिन कु(शाख सूरि महाराज का चरन ॥ शुचं भवतु ॥ समोसरन । मंदिर का शिलालेख । [2038] (१) श्री शुल संवत् १९५३ मिती कातिक वदी (२) त्रयोदशी मंगलवार श्री महावीर स्वामी जी के समोस (३) रनजी में मंदिर कराया श्री संघ ने श्वेताम्बरी आमनाये (४) वः मनिजर गोविन्द चंद सचेती विहारवाले के (५) हस्ते वना । इदं प्रतिष्ठितं गंगारीखी जति महताब बिबि का मंदिर। शिलालेख । [20341 (१) संवत् १९३१ का मिति माघ शुक्क १० तिथी (२) चंडवारे श्री मन्महावीर स्वामी मंदिर श्री वंगदे. "Aho Shrut Gyanam"

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