Book Title: Jain Jyotish
Author(s): Shankar P Randive
Publisher: Hirachand Nemchand Doshi Solapur

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Page 13
________________ ( ९ ) इससे सिद्ध होता है कि - निमित्तशास्त्र अलग है और ज्योतिषशास्त्र अलग है और शाकुन शास्त्र भी अलग है । हमने जो जैनज्योतिष इस ग्रंथ में बताया है वोहि ज्योतिष भरतचक्री जानते थे । निमित्तशास्त्र यह ज्योतिषशास्त्र से अलग है इसमें कोई संदेह नहीं. केई पंडित जिनवाणी में अन्यमति ज्योतिषी ग्रंथ घुसड देना चाहते हैं उसका एक भास्कराचार्यने बना हुवा सिद्धांत शिरोमणि नामका ग्रंथ है उसमें गोलाध्याय नामका एक प्रकरण है उसमें पृथ्वी गोलाकार है और घूमती है ऐसा कहा है सो ऐसा लिखना जैनधर्मसे बिलकुल विरुद्ध है. जैनशासन में दो सूर्य और दो चंद्र बताये हैं उसका भी खण्डन सिद्धांत शिरोमणिमें किया है सो इस मुजब है 1 अन्यमतके ज्योतिषशास्त्र - भास्कराचार्य सिद्धान्त शिरोमणेः गोलाध्यायः । भास्कराचार्यकृत सिद्धान्त शिरोमणि उसमेंका यह गोलाध्याय है, इस ग्रंथके पृ. २७ में लिखा है सो इस मुजब - " द्वौ द्वौ रवीन्द्र भगणौ च तद्वदेकान्तरौतावदयं ब्रजेताम् यदब्रुवन्नेवमनम्वराद्या ब्रवीम्यतस्तान् प्रति युक्तियुक्तं ॥ ८ ॥ अर्थात् - जैन लोग कहते हैं कि दो सूर्य, दो चंद्रमा, दो राशि - चक्र प्रभृति हैं जिन दो २ मेंसे एक के भीतर दूसरेका उदय होता है इसका उत्तर मैं कहता हूं ॥ ८ ॥ भूः खेऽधः खलु यातीति बुद्धिबौद्ध ! मुधा कथम् ॥ जाता यातन्तु दृष्ट्वापि खेयत्क्षिप्तं गुरुक्षितिम् ॥ ९ ॥ अर्थात - हे बौद्ध ? जिस समय किसी वस्तुको फेंकते हो तो फेंकते समय वह वस्तु पुनः पृथ्वी में गिरती है, इसको देखते हुए और पृथ्वीको

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