Book Title: Jain Hiteshi 1916 Ank 01
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 29
________________ HIMALAImmmmmmmmmITION मेरा प्यारा हिन्दुस्तान । ceeeeeeeeeeeDDSS@@@@@0000000000000BDece® මළපළලිහිණි:මාළමනලලලලලලලලලලලල පිළිම ॐ कहते हैं ऐसा विद्वान । नहीं एकका हिन्दुस्तान ॥ C इस पर सबका स्वत्व समान । हिन्दू किंवा हो कृस्तान ॥ सब मिल गाओ मङ्गलगान । मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥७ P विधवा बाल अशक्त अनाथ । इन सबका पकड़ें हम हाथ ॥ अन्न-वस्त्रका देवें दान । और सिखावें जीवन-ज्ञान ॥ जिससे उन्हें रहे यह ध्यान। मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥८ .स्वावलम्बका हो अवलम्ब । पर-हितमें नहिं करें विलम्ब ॥ भारत-जननीके हो दास । सेवें चरणकमल सुखवास ॥ जपा करें यह मंत्र महान । मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥९ 'ऐसी सुमति वृद्ध नर पावें । कन्याओंका दिल न दुखावें ॥ विधवाओंको ब्याहें ! तभी योग यह लोग सराहें । बूढ़ी जोड़ी गावे गान । मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥ १० ॐ करें न कोई बाल-विवाह । खूब पढ़ावें दे उत्साह ॥ 9 देश-भक्तिका हो अभिमान । आत्म-शक्तिसे हों बलवान ॥ उनको हो यह निश्चय ज्ञान । मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥ ११ करें स्वदेशी वस्तु पसन्द । कला-कुशलता पड़े न मन्द ॥ करें नित्य नव आविष्कार । पावें फिर पहला सत्कार ॥ तब कहनेका हो अभिमान । मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥ १२ मादक द्रव्योंका व्यवहार । छोड़ें, सीखें शिष्टाचार ॥ दया-धर्मके हों अवतार । करें न हिंसा, पर-अपकार ॥ भरे रहें इस ध्वनिसे कान। मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥ १३ - सौत-द्वेषका भाव छोड़कर । श्री-वाणी सद्भाव जोड़कर ॥ @ रहें यहाँ निज सदन बनाकर । बाहरके ले जाय मनाकर ॥ @eeeeeeeeeee:e:e:eeeeeeeeeeeeeee @eeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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