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मेरा प्यारा हिन्दुस्तान । ले-श्रीयुत सय्यद अमीर अली ( मीर)
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ॐ दयानिधे, हे अन्तर्यामी । परमपूज्य सब जगके स्वामी ॥ यद्यपि दिखते नहीं कहीं हो । सच पूछो तो कहाँ नहीं हो ?॥
गावें सब मिल दो, वरदान ।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥१ भेद-बुद्धि हम जावें भूल । सभी हमारे हों अनुकूल । करें न नाहक बैर-विवाद । समझें पातक पर-अपवाद ॥
मूल मंत्र यह लेवें मान ।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥२ हिन्दू-बौद्ध-जैन हों आर्य्य । चाहे ब्रह्मो-यवन-अनार्या ॥ चाहे भारतीय ईसाई । समझें आपसमें सब भाई ।।
सुधामयी मिल छेड़ें तान ।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥३ जननी जन्म-भूमि है एक । उसके हम सब पुत्र अनेक ॥ पालें अपना अपना धर्म । रहें समझते लेकिन मर्म ॥
और रखें मनमें अभिमान ।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥ ४ ऊँच-नीच गुणहीमें माने । सबको अपना भाई जानें ॥ सबके सुखदुखको निज मानें । व्यर्थ बातको कभी न तानें ॥
पढ़ें मंत्र कल्याणनिधान ।
मेरा प्यारा हिन्दुस्तान ॥ ५ विद्याका खोलें भण्डार । उस पर तन-मन दें बलिहार ॥ चाहे पढ़ने जायँ विदेश । भूलें पर नहिं यह उपदेश ।
_ 'मैं भारतका हूँ सन्तान ।
__ मेरा प्यारा हिन्दुस्तान' ॥६ Meeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee®
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