Book Title: Jain Ganitanuyog
Author(s): Vijayshree Sadhvi
Publisher: Vijayshree Sadhvi

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Page 7
________________ VAN समर्पणाम मेरे संयम पथ व पाथेय की प्रायिका मेरे ग्रंथ - प्रणयन की आत्मा सभी श्रेष्ठता व मौलिकता की आधारस्थली मेरी जीवन क्यारी को सदा सींचने वाली पंजाब प्रवर्तनी महासती श्री केसरदेवी जी म. सा. की शिष्यारत्ना श्रमण संस्कृति की गौरव वाहिका, समत्व साधिका, आत्म-आराधिका कल्याण की वर्षा करने वाली महामेष धारा अध्यात्मयोगिनी महाश्रमणी पूज्या गुरुवर्या श्री कौशल्या देवी जी म. सा. की १२वीं पुण्य स्मृति स्वरूपा सचिन जैन गणितानुयोगा की यह कृति सविनय-सभक्ति सादुर समर्पित -साध्वी डॉ. विजयश्री कार्या SANOTES अग सृजन : साली डॉ. विजयश्री अशी

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