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, कारण अनेक हैं। कोश की विशालता, लेखक की सीमा, जानकारी का अभाव आदि। निश्चित ही जो नहीं हो सका, वह भी महत्वपूर्ण है परंतु जो हो सका, उस पर भी यथेष्ट ।
ध्यान दिया जाना चाहिए। प्रयास यह रहा है कि प्रस्तुत चरित्रों के माध्यम से जैनत्व को ? , अधिक से अधिक उजागर किया जाए।
___इस कार्य की अपनी चुनौतियां थीं। शैली-मात्र की भिन्नता के साथ जिस प्रकार , एक ही कथा अलग-अलग जगह अलग-अलग रूप में मिल जाया करती है, उसी प्रकार
चरित्र भी मिले। कुछ चरित्रों का पूर्वपक्ष समान मिला तो कुछ का उत्तरपक्ष। इसका कारण
संभवतः यह है कि प्राचीन काल में व्यापारी जब व्यापार के लिए परदेश जाते थे तो , अपने साथ केवल माल ही नहीं ले जाते थे। वहां से केवल धन ही नहीं लाते थे। वे यहां
से यहां की चरित्र-कथाएं भी ले जाते थे और वहां से वहां की चरित्र-कथाएं भी लाते ।
थे। उसी तरह जैसे बच्चे अपने मामाओं के यहां से कहानियां, पहेलियां आदि सीखकर । , आते हैं और अपने घर के आसपास के बच्चों को सुनाते हैं या अपने घर के आसपास ।
से सीखे हुए को अपने मामा के घर जाकर सुनाया करते हैं। , चरित्रों और उनकी कथाओं ने जब इधर से उधर यात्राएं की तो परस्पर आदानप्रदान हुआ। परिणामस्वरूप एक ओर चरित्र-कथाएं समृद्ध हुई तो दूसरी ओर उनमें समानताएं ।
भी आ गईं। समानता मिलने पर सत्यासत्य का निर्णय कठिन था। अपनी ओर से कोई । यनिर्णय करने की जगह जो चरित्र जैसा मिला, उसे वैसा ही अंकित करना उचित लगा। , और यही करने का प्रयास भी किया गया। । प्रयास यह भी रहा कि चरित्रों का चयन करते हुए दृष्टि केवल अपने संप्रदाय के । । चरित्रों तक ही सीमित होकर न रह जाए। अतः तटस्थ भाव से जैन धर्म के विविध संप्रदायों ।
में मान्य एवं जनमानस में स्थान बनाने वाले प्रसिद्ध चरित्र यहां प्रस्तुत किए जा सके। । कहीं-कहीं चरित्रों के बारे में अलग-अलग संप्रदायों की अलग-अलग मान्यताएं भी मिलीं।।
ऐसे में सभी चरित्रों का चित्रण-वर्णन श्वेतांबर स्थानकवासी जैन परंपरा की मान्यताओं
के अनुरूप किया गया। । सभी चरित्रों के संदर्भ देना कोश की मांग थी, जिसे पूरी तरह पूरा नहीं किया जा । । सका। कुछ चरित्र लोकश्रुति-परंपरा पर आधारित हैं और जैन जनमानस के लिए उतने 5
ही मान्य हैं, जितने कि संदर्भ-सहित मिलने वाले चरित्र। अतः उन्हें भी यहां स्थान दिया गया परंतु उपलब्ध न होने के कारण उन सभी के संदर्भ नहीं दिए जा सके। अनेक चरित्र ऐसे भी हैं, जिनका पूरा परिचय अन्य चरित्रों के अंकन में पूरा हो गया है। ऐसे में उनके
.स्वकथ्य ।
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जैन चरित्र कोश.