Book Title: Jain Bhajan Tarangani Author(s): Nyamatsinh Jaini Publisher: Nyamatsinh Jaini View full book textPage 8
________________ जैन भजन तरंगनी। बिसिष्ट शिष्टाचार नमस्ते । शान्त सरूपाकार . नमस्ते ।। दया धरम परचार नमस्ते । विश्वहितंकर सार नमस्ते ३ ज्ञान अनंता धार नमस्ते । महिमा अपरमपार नमस्ते ।। भव्य भवोदधि तार नमस्ते । पतित जीव उद्धार नमस्ते ४ अष्ट करम संघार नमस्ते । शिवरमणी भरतार नमस्ते ।। तिर्थकर अवतार नमस्ते । तीन भवन में सार नमस्ते ५ मोह बिमोचनहार नमस्ते । विषय कषाय निवार नमस्ते ॥ पावन परम अबिकार नमस्ते। शिवसरूप शिवकार नमस्ते ६. महादान दातार नमस्ते । शर्मा मृत सितसार नमस्ते !! जय रन त्रय धार नमस्ते । पूरण ब्रह्म अविकार नमस्ते ७ निराकार साकार नमस्ते । एकानेक आधार नमस्ते ।। तीनलोक श्रृंगार नमस्ते ! भुक्ति मुक्ति दातार नमस्ते ८ सत्य धरम परचार नमस्ते । मिथ्यातिमर निवार नमस्ते ॥ न्यामत बारम्बार नमस्ते । कर जिन चरण मंझार नमस्ते९ (चाल) सोरठिया प्यारी बोलोजी भरने दे जल नीर । टुक अरज हमारी सुनियो जी स्वामीजी महाबीर | टेक !! तुम हो प्रभू जग हितकारी । तुमहो सबके सुखकारी। तुम पर दुखहारी काटोजी करमन की जंजीर ॥ १॥ यह कर्म महा अन्याई । . हैं भवभव में दुखदाई।Page Navigation
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