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जैन गजन तरंगनी।
३५ ध्याकरगा हिन्दी भाषाके माठ कारकों को दिनाने पाजे दोदे। यह दोहे सुपुत्री सितारा देवी के लिये ता० २९ दिसम्बर सन् १९२३ को पार थे जय कि पांचवीं कक्षा की परीक्षा होने वाली थी।
(दोहा) आज बनाया हाथसे मैने सुंदर हार। तेरे कारण हे सखी देखो आंख पसार ॥ १ ॥ लाई अपने बारा से चुन चुन कली संवार ॥ लातेरे गल में डार, मेरा सुंदर हार ।। २॥ .
दिसम्बर सन् १९२३ में यह भजन सुपुत्री मिनारा देशी के लिये पनाया शा--कन्या पाठशाला हिसार में दिल्ली दर्शर की जुटी हुई थी और इस समय यह भजन सय लडकियों ने पढ़कर सुनाया था।
चाल-- आओ बहनों खेलें कूदें मौका खेल रचाने का ॥ दिल्ली में दरगार हुवा था दिन है खुशी मनाने का ॥ १ ॥ सारी मिलकर गाएं वर्धाई समय है गीत सुनाने का। फेर मदरसे में छुट्टी हो हुकम मिले घर जाने का ॥ २ ॥ आहा आहा, ओहो ओहा, हुररा है, फिर हरग है ॥ मौका माज मिला है न्यामत खासा शोर मचाने का ३||