Book Title: Jain Bhajan Tarangani
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 38
________________ -:: हैं) से करें। जो भाई नीम व कीकर आदि की दांतन करते हैं वह दांतन के साथ इस पवित्र दंत मंजन को लगावें ।। नोट-यह पवित्र दन्त मंजन सब भाइयों को एक दफा मंगाकर आज़माना चाहिये क्योंकि दाँतों से ही मनुष्य की जिंदगी है-इसका मूल्य भी प्रायः लागत मात्र प्रति पेकेट ॥) है जो दो महीने के लिये एक पैकेट काफी है। हितैषी-रघुबीरसिंह जैन हिसार स्वादिष्ट पाचक चरण । १---यह चूर्ण भी खाने में बड़ा मजेदार है-खाना खाने के बाद जरा सा खालो तो सब खाना हजम हो जाता है-जिसको बदहज़मी रहती हो-पेट में उफारा रहता हो और खट्टी डकारें आती हों जरा सा खाने से सब बीमारी दूर हो जाती हैं और मुंह का जायका बहुत अच्छा हो जाता है। २-यह चूरण भी एक वैद्यजी से तय्यार कराया गया है जिसमें सब जंगल की जड़ी बूटी आदि साफ करके डाली गई हैं-मुल्य प्रायः लागत मात्र प्रति पेकेट, है नोट-उपरोक पवित्र दन्त मंजन व स्वादिष्ट पाचक चूरण वी० पी० द्वारा रवाना किये जाते हैं डाक खर्च सब खरीदार के जिम्मे होगा। मंगाने का पताः-. . रघुबीरसिंह राजकुमार जैन. Distt. HISSAR ( Punjab) . मु० हिसार (पंजाब)

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