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जैन भजन तरंगनी।
चाल हो वहनो चर्खे पे दारोमदार है। हो बहनो विद्या बड़ी हितकार है। ...... हां विद्या करती बड़ा उपकार है ॥ १॥ .. विद्या बिना गहना भी सब बेकार है। हां विद्या सांचा हमारा श्रृंगार है । २।। बहनो बिद्या सन दुख निवारणहार है । हां विद्या सुख मंगल कार है ॥ ३ ॥ हो बहनो विद्या पे दारोमदार है। हां विद्या सीखो तो बेड़ा पार है।४। बहनो जग में विद्या ही धनसार है। .. हां याको लेवे ना चोर चकार है । ५। बहनो विद्या उन्नति का आधार है। हां विग बिना दुखी संसार है।६। न्यामत विद्या-से. होता सत्कार है ।। हां विद्या भवदधि तारनहार है । ७।
इति जैन भजन तरंगनी समाप्तम्
. ... शुभम्. .