Book Title: Jain Bhajan Tarangani
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ ३४ जैन भजन तरंगनी। चाल हो वहनो चर्खे पे दारोमदार है। हो बहनो विद्या बड़ी हितकार है। ...... हां विद्या करती बड़ा उपकार है ॥ १॥ .. विद्या बिना गहना भी सब बेकार है। हां विद्या सांचा हमारा श्रृंगार है । २।। बहनो बिद्या सन दुख निवारणहार है । हां विद्या सुख मंगल कार है ॥ ३ ॥ हो बहनो विद्या पे दारोमदार है। हां विद्या सीखो तो बेड़ा पार है।४। बहनो जग में विद्या ही धनसार है। .. हां याको लेवे ना चोर चकार है । ५। बहनो विद्या उन्नति का आधार है। हां विग बिना दुखी संसार है।६। न्यामत विद्या-से. होता सत्कार है ।। हां विद्या भवदधि तारनहार है । ७। इति जैन भजन तरंगनी समाप्तम् . ... शुभम्. .

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39