Book Title: Jain Bhajan Tarangani
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 39
________________ नोटिस मित्र लिग्विन मापा छंद यद चरित्र प्राचीन जैन परिदतीने रची जिनको प्रय संशोधन करके मोरे कागज पर.मोटे मन में सर्व साधारण पिनार्थ खवायामय भायां को पढ़कर धर्म HTA उठाना चाहिये-यह दोनो जन शार स्रो पुरुषों के लिए बड़े उपयोगी हैं, उनकी कविता प्राचीन और सुन्दर है / / दोनो शाल जैन मंदिगें में पढ़ने योग्य: (1) भविसदत्त चरित्र:-यह जैन शास्त्र श्रीमान पंडित बनवारी नाराजी नने सम्बत् 1666 में कविना मप चौताई आदि भाषा में बनाया श्रा जिसको कई प्रतियों द्वारा मिलान करके शुद्धता पूर्वक प्रयाया मोर कठिन शब्दोका मर्थ मी प्रत्येक तुके के नीचे लिया गया है इसमें महाराज भविसदत्त मौर सती कमली व तिलकानुन्दरी का पवित्र चारित्र भले प्रकार दर्शाया गया है। मूल्य) (२)धन कुमार चरित्र:-यह जैन शाम्य श्रीमान् पटिन भावान चन्द जी जैन ने कविता रूप चौपाई मादि भाषा में राधा को भी भले प्रकार. संशोजन करके छात्राया है म श्रीमान, धन कुमार जी का जीवन चरित्र अच्छी तरह दिखाया गया है / मूल्य He) (३)नमोकार मंत्र:-फूलदार यदिया मोटा कागज ) पुलक मिलनेका पना:रघुवीर सिंह जैन मैनेजर न्यामत जैन पुस्तकालय हिसार Ifissar { Panjali } मु० हिसार (पंजाब)

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