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जैन भजन तरंगती। खाने को फल फूल घेवर मंगादे !! हारी पूड़े मीठे सलाने बनादे॥ ६ ॥ मंदिरमें सब मिलके पूजा करेंगी ।। पूजा की सारी सामग्री मंगादे॥७॥ भय्या को माता जी सोनीपत भेजदे । बीवी केवली को बुलाद मिलाद॥ ८॥ दिल्ली में जैसा शहादरेका मेला ॥ यहां भी वैसा तीजका मेला करादे ॥९॥ भाई भतीजों को लेकर के झूलू ।। लामेरी गोदी में सारे विठादे ॥१०॥ छोटी छोटी बुदियां ठंडी पवनिया॥ हारी वारा चम्पा में झूला गिरादे ॥१९॥ झूलेंगे गाएंगे मिल करके सारी॥ भजनों की नई नई पुस्तक मंगादे ॥ १२ ॥ कन्या सुशिक्षित हों विद्याकी वृद्धि । मुझे लो ऐसे तीजों के गीत वनवादे ।। २३ ।। विद्या पढ़ेगी सुशीला बनेंगी। हमारे लिये कन्या पाठशाला खुलादे ।। १४ ।। न्यामत वही है चतुर और सुशीला ॥ धर्म में जो पढ़करके जीया लगादे ।। १५ ।।